नीतीश सरकार को समर्थन देंगे ओवैसी (फोटो- सोशल मीडिया)
Asaduddin Owaisi Support NDA Government: बिहार की राजनीति में उस वक्त एक नया मोड़ आ गया जब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने की बात कह दी। अमौर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ किया कि वे सरकार का साथ देने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने एक बड़ी शर्त रख दी है। ओवैसी ने दो टूक कहा कि विकास का पहिया सिर्फ राजधानी पटना और पर्यटन स्थल राजगीर तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि पिछड़े इलाकों को भी उनका हक मिलना जरूरी है।
ओवैसी का पूरा जोर बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित सीमांचल क्षेत्र पर था। यह इलाका मुस्लिम बहुल है और राज्य के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है। यहां की लगभग 80 फीसदी आबादी गांवों में बसती है और हर साल कोसी नदी की बाढ़ का कहर झेलती है। ओवैसी ने सरकार को याद दिलाया कि सीमांचल नदी कटाव, बड़े पैमाने पर पलायन और भयंकर भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। उनका कहना है कि अगर नीतीश सरकार इन मुद्दों का समाधान करती है और इस क्षेत्र को न्याय देती है, तो समर्थन मुमकिन है।
सियासी समीकरणों पर गौर करें तो सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर एनडीए के खाते में गई हैं, जहां गठबंधन ने 14 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बावजूद ओवैसी की पार्टी ने अपनी जमीन बचाए रखी और 2020 की तरह इस बार भी 5 सीटें जीतीं। यह जीत इसलिए खास है क्योंकि पिछली बार उनके चार विधायक RJD में चले गए थे। ओवैसी ने कहा कि पटना को यह समझ लेना चाहिए कि सीमांचल की जनता पतंग छाप के साथ मजबूती से खड़ी है और सत्ता के गलियारों तक पैगाम यहीं से जाएगा।
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अपने विधायकों को अनुशासित रखने के लिए ओवैसी ने एक सख्त प्लान तैयार किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब उनके पांचों विधायकों को हफ्ते में दो दिन अपने विधानसभा कार्यालय में बैठना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं, उन्हें अपनी लाइव व्हाट्सएप लोकेशन और फोटो असदुद्दीन ओवैसी को भेजनी होगी ताकि यह पुष्टि हो सके कि वे वास्तव में क्षेत्र में हैं। ओवैसी ने खुद भी हर छह महीने में दौरा करने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का वादा किया है। वे चाहते हैं कि जनता के काम में कोई कोताही न बरती जाए और छह महीने के भीतर यह सिस्टम शुरू हो जाएगा।