दीपांकर भट्टायार्य, राहुल गांधी
Bihar Politics: बिहार महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर घमासान के आसार प्रबल हैं। कांग्रेस और राजद की खींचतान के चलते अन्य सहयोगी दल भी परेशान नजर आ रहे हैं। इसी बीच गठबंधन बड़े वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी-लेनिनवादी (CPI-ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कांग्रेस नसीहत दी है कि वो औकात से ज्यादा सीटें न मांगे। चिंता इसकी करें की सीट भलें कम मिलें, लेकिन ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जाएं।
दीपांकर भट्टाचार्य का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बिहार में पूरी तरह से महागठबंधन पर हावी दिख रही है। वोट अधिकार यात्रा में तमाम प्रयासों के बावजूद भी राहुल गांधी तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा नहीं घोषित किया। वहीं वोट अधिकार यात्रा के बाद अब अकेले तेजस्वी यादव बिहार की यात्रा पर निकले हैं। सीट शेयरिंग की खटपट गंभीर होती दिख रही है।
भाकपा-माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कांग्रेस द्वारा 2020 की तरह फिर 70 सीटों की डिमांड को लेकर कहा कि कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा 70 सीटों की मांग की खबरें मैंने भी सुनी हैं, लेकिन वो पिछली बार 70 सीटों पर लड़े थे, लेकिन सिर्फ 19 सीटों पर जीत पाए। 2015 में कांग्रेस ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था तो उस बार 27 सीटें जीती थी। वो अच्छा स्ट्राइक रेट था, लेकिन 2020 में वो 70 सीट लड़ी, उनकी औकात से ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगता है कि इनके बीच संतुलन होना चाहिए।
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भट्टाचार्य ने आगे कहा कि हम कम सीटें लड़कर बेहतर प्रदर्शन करना और ज्यादा सीटें जीतना विपक्षी गठबंधन के हक में होगा। उन्होंने कहा कि पिछली बार से कम सीटें लड़ना, लेकिन ज्यादा सीटें जीतना, बेहतर प्रदर्शन करना कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के हित में होगा। उन्होंने कहा कि पिछली बार आपने देखा कि महज 12 सीट की वजह से महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई थी। तेजस्वी सीएम बनने से चूक गए। राजद कार्यकर्ता इसके लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार मानते हैं। वो 70 में 19 जीते, वहीं भकपा मामले 19 लड़कर 12 सीट जीत गई। राजद ने 144 लड़कर 75 सीटें जीतीं। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27 प्रतिशत रहा।
गौरतलब है कि इस बार सीट शेयरिंग मुख्य रूप से कांग्रेस, राजद, लेफ्ट और वीआईपी के बीच होना है। इससे पहले महागठबंधन में मुकेश सहनी नहीं थे। इसी लिए मामला और ज्यादा जटिल हो गया है।