चुनाव आयोग, दीपांकर भट्टाचार्य (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः बिहार चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्म है। मामला वोटर लिस्ट से जुड़ा हुआ है। इस बार इंडिया गठबंधन के निशाने पर कोई पार्टी नहीं बल्कि चुनाव आयोग है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद मौजूदा तरीके से की गई तो राज्य के एक करोड़ मतदाता मतदान से वंचित हो सकते हैं।
इतना ही नहीं नाराज भट्टाचार्य ने कहा कि नोटबंदी की तरह यह ‘वोटबंदी’ है, जिस पर विपक्ष के सवालों का निर्वाचन आयोग ने जवाब नहीं दिया। वाममंथी नेता ने कहा कि उनका दल पूरी ताकत से लड़ेगा और इसको लेकर मुहिम शुरू की जाएगी।
दीपांकर बोले- लोग कहां से लाएंगे इतने दस्तावेज
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘यह पहली बार हुआ कि मतदाताओं को यह साबित करने के लिए कहा गया है कि वे भारत के नागरिक हैं और मतदाता हैं। इस पूरी कवायद में बिहार के पांच करोड़ लोगों को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।” उनका कहना था कि लोगों के पास अभी जो दस्तावेज हैं उनकी जरूरत नहीं बताई गई है। उन्होंने कहा कि लोगों से 10वीं की मार्कशीट, जन्म प्रमाणपत्र, जमीन के कागजात मांगें जा रहे हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों के पास ये दस्तावेज नहीं होंगे।
एक करोड़ लोग मतदान से होंगे वंचितः दीपांकर
कम्युनिस्ट नेता भट्टाचार्य ने आगे कहा कि कहा हमें आशंका है कि अगर इसी तरह प्रक्रिया चलाई गई तो एक करोड़ लोग मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदान के सार्वभौमिक अधिकार के दायरे को सीमित किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने वाजिब सवालों का उचित जवाब नहीं दिया।
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इंडिया गठबंधन के नेताओं से चुनाव आयोग का अपमानजनक व्यवहार
गौरतलब है कि इससे पहले बीते रोज वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ इंडिया गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग पहुंचा था। इस दौरान कथित तौर पर आयोग के अधिकारियों द्वारा नेताओं से अपमानजनक व्यवहार किया गया। राजद, कांग्रेस, कम्युनिस्ट नेताओं ने एक सुर में चुनाव आयोग के व्यवहार पर आपत्ति दर्ज करायी थी।