छपरा विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Chapra Assembly Constituency: बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक छपरा विधानसभा सीट (Chapra Assembly Seat) न सिर्फ सारण प्रमंडल का मुख्यालय है, बल्कि यह सीट ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। घाघरा नदी के उत्तरी तट पर बसे इस प्रमुख शहरी केंद्र ने हर चुनाव में अलग-अलग राजनीतिक दलों को मौका दिया है। पिछले दो चुनावों से यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास है, और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा जीत की हैट्रिक लगाना चाहेगी।
1957 में गठन के बाद से छपरा विधानसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं।
कांग्रेस का दौर: शुरुआती दौर में, 1957 में कांग्रेस के राम प्रभुनाथ सिंह यहाँ के पहले विधायक बने। 1972 तक कांग्रेस ने यहाँ चार बार जीत हासिल की, जिसके बाद कांग्रेस की वापसी नहीं हुई।
बदलते समीकरण: 2005 में जदयू और 2010 में भाजपा ने यह सीट जीती। हालांकि 2014 के उपचुनाव में राजद के रणधीर कुमार सिंह ने जीत दर्ज कर भाजपा के दबदबे को तोड़ा था।
भाजपा का वर्तमान प्रभुत्व: 2015 के आम चुनाव में भाजपा ने वापसी की और 2020 में भाजपा के सीएन गुप्ता यहाँ से लगातार दूसरी बार विधायक बने, जिससे यह सीट भाजपा के मजबूत केंद्र के रूप में उभरी है।
छपरा विधानसभा सीट पर कई जातीय समूह चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं:
वैश्य, यादव और मुस्लिम वोटर यहाँ निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वैश्य समुदाय का मजबूत समर्थन पारंपरिक रूप से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रहा है, जबकि यादव और मुस्लिम मतदाता राजद के पक्ष में गोलबंद होते हैं।
इनके अलावा, ब्राह्मण, राजपूत, कुशवाहा, पासवान और ईबीसी वर्ग के मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है, जो चुनाव परिणामों पर अपना असर छोड़ती है।
शहरी केंद्र होने के कारण, यहाँ के मतदाता विकास, बुनियादी ढांचे, और रोजगार पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन जातीय समीकरण अंतिम नतीजे में हमेशा एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।
छपरा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है और यह कई धार्मिक कथाओं से समृद्ध है:
पौराणिक महत्व: कहा जाता है कि यहाँ के दाहियावां मुहल्ले में दधीचि ऋषि का आश्रम था। अंबिका भवानी मंदिर से जुड़ी कथा है कि यहीं राजा दक्ष का यज्ञकुंड था, जिसमें देवी सती ने आत्मदाह किया था।
औद्योगिक अतीत: ब्रिटिश काल में यह एक प्रमुख नदी बाजार के रूप में विकसित हुआ, जहाँ डच, फ्रांसीसी और अंग्रेजों ने शोरा (साल्टपीटर) के अपने शोधन केंद्र स्थापित किए थे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, भाजपा के सीएन गुप्ता के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती होगी। वहीं, राजद के रणधीर कुमार सिंह या कोई अन्य मजबूत उम्मीदवार वैश्य-यादव-मुस्लिम समीकरणों को साधकर सीट वापस छीनने की पूरी कोशिश करेंगे, जिससे छपरा सीट पर एक बार फिर कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।