बेनीपट्टी विधानसभा सीट, डिजाइन फोटो (नवभारत)
Bihar Assembly Election 2025: बेनीपट्टी सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि मधुबनी जिले का एक प्रमुख अनुमंडल भी है। यह क्षेत्र पारंपरिक शिक्षा का केंद्र रहा है और मिथिला संस्कृति की पहचान बन चुका है। मधुबनी चित्रकला का उद्गम स्थल होने के कारण यहां की सांस्कृतिक विरासत पूरे देश में प्रसिद्ध है। मैथिली भाषा यहां की जनजीवन में रची-बसी है।
भौगोलिक दृष्टि से बेनीपट्टी नेपाल सीमा और हिमालय की तराई के पास स्थित है। बागमती नदी इस क्षेत्र से होकर बहती है, जिसके साथ कई छोटी नदियां, नहरें और तालाब भी मौजूद हैं। यही कारण है कि यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है। कृषि और छोटे व्यापार यहां की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं।
बागमती नदी नेपाल की काठमांडू घाटी से निकलकर बिहार में प्रवेश करती है और कोसी नदी में मिल जाती है। यह नदी हिंदू और बौद्ध धर्मों के लिए पवित्र मानी जाती है। इसके किनारे स्थित पशुपतिनाथ मंदिर जैसे धार्मिक स्थल इस क्षेत्र को आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,21,972 है। इसमें पुरुषों की संख्या 2,71,156 और महिलाओं की संख्या 2,50,816 है। कुल मतदाताओं की संख्या 3,07,579 है, जिनमें 1,61,305 पुरुष, 1,46,266 महिलाएं और 8 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। यह आंकड़े चुनावी रणनीति के लिहाज से अहम हैं।
बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य माना जाता है। अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में 11 बार ब्राह्मण उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। यही कारण है कि राजनीतिक दल यहां ब्राह्मण चेहरों पर दांव लगाते हैं। इस बार भी दोनों प्रमुख दलों की नजर इस वोट बैंक पर टिकी है।
1951 में इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने 6 बार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 4 बार, भाजपा, जदयू और निर्दलीय प्रत्याशियों ने दो-दो बार जीत दर्ज की है। 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने भी यहां से जीत हासिल की थी। यह विविधता इस सीट की राजनीतिक जटिलता को दर्शाती है।
2010 में भाजपा के विनोद नारायण झा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 2015 में जदयू के महागठबंधन में शामिल होने के बाद कांग्रेस की भावना झा ने भाजपा को हराया। 2020 में जदयू के एनडीए में लौटने के बाद भाजपा ने फिर वापसी की और विनोद नारायण झा ने दोबारा जीत हासिल की। यह क्रम दर्शाता है कि यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा संघर्ष बना हुआ है।
इस बार के चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। ब्राह्मण वोटरों का रुझान, स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवारों की छवि चुनावी परिणामों को प्रभावित करेंगे। मिथिला की सांस्कृतिक पहचान, बाढ़ से जुड़ी समस्याएं और विकास की मांग इस बार के चुनावी विमर्श का हिस्सा बन सकती हैं।
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बेनीपट्टी विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव न केवल राजनीतिक दलों की ताकत का परीक्षण होगा, बल्कि यह दिखाएगा कि मिथिला की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना किस दिशा में आगे बढ़ रही है। ब्राह्मणों का आशीर्वाद किसे मिलेगा, यही इस चुनाव का सबसे बड़ा सवाल है।