हिसुआ विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Hisua Assembly Constituency: बिहार के नवादा जिले की हिसुआ विधानसभा सीट पर आगामी Bihar Assembly Election 2025 में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। यह सीट नवादा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से एक है। कांग्रेस के सामने अपने इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती है, क्योंकि पिछली बार उसने लगभग 15 साल बाद वापसी की थी, जबकि भाजपा यहाँ सत्ता में वापसी की पूरी कोशिश में है।
1957 से एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित हिसुआ को लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ कहा जा सकता है, क्योंकि यहाँ पार्टी ने सबसे अधिक 9 बार जीत हासिल की। पहले 63 साल के इतिहास में जनता ने सिर्फ छह नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेजा है। इनमें सबसे उल्लेखनीय नाम आदित्य सिंह का है, जिन्होंने 3 चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े, जबकि 3 चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े और जीत हासिल की। यह उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता को दर्शाता है।
हाल के इतिहास में, भाजपा ने यहाँ से लगातार 3 चुनाव (2005, 2010, 2015) जीते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सीट पर अब मुकाबला फिफ्टी-फिफ्टी का हो चुका है। लेकिन अबकी बार मुकाबला आसान नहीं होगा।
पिछले विधानसभा चुनाव में यहाँ भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस ने लगभग 15 साल बाद वापसी की। 2020 के चुनाव में नीतू कुमारी ने कांग्रेस को जीत दिलाई, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
2025 की टक्कर: इस बार हिसुआ विधानसभा सीट से 14 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य टक्कर दो दिग्गजों के बीच है। कांग्रेस ने दोबारा नीतू कुमारी पर विश्वास जताया है, जिनके पास सीट बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा ने तीन बार के विधायक अनिल सिंह पर फिर से भरोसा करते हुए टिकट दिया है, ताकि वह विधानसभा में वापसी कर सकें।
तिलैया नदी के दाहिने किनारे पर गया-नवादा मार्ग पर स्थित हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है। क्षेत्र में कुछ छोटे उद्योग हैं, जो काफी लोगों के लिए रोजी रोटी का एक जरिया हैं। धार्मिक आधार पर भी हिसुआ विधानसभा क्षेत्र समृद्ध है। यहां पर मदनेश्वर महादेव मंदिर हजारों लोगों की आस्था से जुड़ा है।
साथ ही साथ नवादा के हिसुआ में वाट थाई मंदिर में गौतम बुद्ध की 108 फीट ऊंची प्रतिमा यहाँ की शोभा बढ़ाती है। इसके अलावा जय ज्वालानाथ मंदिर भी स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस सीट पर जातीय समीकरण और उम्मीदवार की व्यक्तिगत साख दोनों महत्वपूर्ण हैं। यहाँ के मतदाता जातीय समीकरणों और स्थानीय विकास के मुद्दों, जैसे- कृषि पर निर्भरता और छोटे उद्योगों का विकास पर वोट डालते हैं। नीतू कुमारी के सामने विधायक के तौर पर अपने प्रदर्शन को साबित करने की चुनौती है, जबकि अनिल सिंह को भाजपा के संगठनात्मक बल और अपने तीन बार के विधायक होने के अनुभव का फायदा उठाना होगा।
यह भी पढ़ें:- कुढ़नी विधानसभा: भाजपा-राजद के बीच कांटे की टक्कर, जानें इस बार का चुनावी समीकरण
हिसुआ विधानसभा सीट पर बिहार चुनाव 2025 में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर वाला है। कांग्रेस के लिए यह सीट अपने गढ़ को बचाए रखने की लड़ाई है, जबकि भाजपा के लिए यह अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने का संघर्ष है। नीतू कुमारी की लोकप्रियता और अनिल सिंह का अनुभव इस बार नवादा की जनता के फैसले पर निर्णायक प्रभाव डालेंगे।