नीतीश कुमार व नेपथ्य में रवि शंकर प्रसाद (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Politics: बिहार मे चल रहे चुनावी माहौल के बीच यह चर्चा चल रही है कि भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार को ढो रही है, वह एक बोझ की तरह हो चुके हैं। जिसके बाद सियासी हलकों में हलचल बढ़ी और लोग तरह-तरह की बातें करने लगे तो बीजेपी नेता ने ही सामने आकर इस पर बात रखी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि बिहार में मुख्यमंत्री पद का सवाल चर्चा का विषय नहीं है। बिहार चुनाव से पहले, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी रिश्तों को लेकर बहुत सजग है, और हम ऐसा करते भी हैं। एक साक्षात्कार में पटना साहिब से सांसद रविशंकर प्रसाद ने नीतीश कुमार और जदयू के साथ भाजपा की साझेदारी पर चर्चा की और कहा कि विपक्ष का अभियान काम नहीं कर रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव में जीत पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार एक ईमानदार व्यक्ति हैं, उनकी विश्वसनीयता बरकरार है। लगभग 18 राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के साथ हम यह सुनिश्चित करते हैं कि सहयोगियों के साथ हमारे गठबंधन बरकरार रहें। चारा घोटाले के खिलाफ लड़ाई में एक वकील के रूप में मेरे योगदान को आप जानते ही हैं।
नीतीश कुमार 1996 में हमारे साथ जुड़े थे और कुछ उतार-चढ़ावों के बावजूद हमारे साथ बने रहे हैं। यह एनडीए के समर्थन का एक मजबूत आधार है और अन्य दल भी इसमें शामिल हुए हैं। हमें 14 नवंबर को नतीजे आने पर भारी जीत की उम्मीद है।
उन्होने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा के पास राज्य स्तर के नेताओं की कोई मजबूत कतार नहीं है जो नीतीश कुमार की जगह ले सके। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित कुछ नेताओं पर अनियमितताओं के आरोप हैं। इस पर रविशंकर ने कहा कि यह एक काल्पनिक प्रश्न है। पार्टी में पर्याप्त प्रतिभा है, और हमारा नेतृत्व ही फैसला करेगा।
बीजेपी सांसद ने कहा कि मैं अपने नेताओं के खिलाफ चलाए जा रहे दुर्भावनापूर्ण अभियान का पूरी तरह खंडन करता हूं। हमारे पास कई करिश्माई नेता हैं। अंततः हम पार्टी को मज़बूत करते हैं और इसी प्रक्रिया से नेतृत्व प्राप्त होता है। अगर हमने ऐसा नहीं किया होता, तो हम देश के इतने बड़े हिस्से पर इतने बड़े पैमाने पर शासन नहीं कर पाते।
क्या नीतीश कुमार के स्वास्थ्य की खबरों और उनकी लोकप्रियता और जनाधार बरकरार रहने के बावजूद, भाजपा उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन देने के लिए मजबूर हुई? इस सवाल पर भाजपा नेता ने कहा, “हमारा रिश्ता नया नहीं है। हम 1996 में साथ आए थे। उनके स्वास्थ्य को लेकर अफवाहों के बावजूद, वह राज्य का व्यापक दौरा कर रहे हैं और प्रचार कर रहे हैं।
वह पूरी तरह से नियंत्रण में हैं और बिहार के विकास के लिए ईमानदारी से काम कर रहे हैं। फिर से, हम रिश्ते बनाए रखते हैं। एक बार जब हम कोई रिश्ता बना लेते हैं, तो हम यह सुनिश्चित करते हैं कि वह सफल हो।” नीतीश कुमार भी अच्छी तरह जानते हैं कि भाजपा के साथ मिलकर ही वह एक स्थिर सरकार दे सकते हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें।
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भाजपा का पहली बार जदयू के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना क्या मायने रखता है? इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा नेता ने कहा, “यह कोई खास बात नहीं है। हम सहयोगी हैं और जब हमारे पास जदयू से अधिक सीटें थीं, तब भी हमने उन्हें 2005 और 2020 दोनों बार मुख्यमंत्री बनाया। संख्या उतनी महत्वपूर्ण नहीं है; एकता महत्वपूर्ण है।”