
बिहार चुनाव 2025: हर बार अलग पार्टी को चुनाव जिताते हैं भभुआ के वोटर, इस बार क्या हैं समीकरण
Bhabua Assembly Constituency: बिहार में कैमूर जिले की भभुआ विधानसभा सीट उन सीटों में से एक है, जहाँ हर बार चुनाव में विधायक बदल दिए जाते हैं। यह सीट मतदाताओं के अप्रत्याशित जनादेश के लिए जानी जाती है, जो यह दर्शाता है कि यहाँ के लोग स्थानीय विकास की कमी से इतने निराश हैं कि वे हर चुनाव में एक नया विकल्प तलाशते हैं। बीते चार बार से यहाँ के मतदाता हर बार अलग-अलग पार्टी से अपना प्रतिनिधि चुन रहे हैं, जो आगामी Bihar Assembly Election 2025 के समीकरण को अत्यंत रोचक बना देता है।
भभुआ सीट का इतिहास एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने वाले जनादेश की कहानी कहता है:
यह चुनावी चक्र स्पष्ट करता है कि भभुआ के वोटर दलगत निष्ठा से ज्यादा विकास की उम्मीद को महत्व देते हैं। 2015 में जब महागठबंधन (जदयू+राजद) की सरकार बनी थी, तब भी भभुआ सीट उनके हाथ से निकलकर भाजपा के खाते में चली गई थी। वहीं, 2020 के चुनाव में जब नीतीश एक बार फिर एनडीए के साथ मिलकर लड़े, तो जनता ने राजद के उम्मीदवार पर मुहर लगा दी।
इस बार भभुआ सीट पर मुकाबला दलबदल के कारण काफी दिलचस्प हो गया है:
वर्तमान विधायक भरत बिंद: वर्तमान में यहाँ से विधायक भरत बिंद हैं, जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार, वे भाजपा में शामिल हो गए और एक बार फिर एनडीए के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं।
राजद का नया चेहरा: इधर भरत बिंद के राजद छोड़ने के बाद पार्टी ने यहाँ से बीरेंद्र कुशवाहा को चुनावी समर में उतारा है।
यह मुकाबला भरत बिंद के लिए व्यक्तिगत साख का है, जबकि राजद के लिए यह अपनी खोई हुई सीट पर वापसी करने और दलबदल का बदला लेने की चुनौती है।
इस विधानसभा क्षेत्र में कुल जनसंख्या 4,78,902 है। इनमें से कुल मतदाता 2,80,979 हैं।
भभुआ विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, कायस्थ और अन्य पिछड़ी जातियां प्रमुख हैं। यह जातीय मिश्रण चुनावी नतीजे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दोनों प्रमुख दल अपने उम्मीदवारों के चयन से इन समुदायों को साधने की कोशिश करेंगे।
भभुआ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहाँ धान, गेहूं और दालों की फसल की जाती है, लेकिन यहाँ किसान प्राकृतिक आपदाओं और विकास की कमी से जूझ रहे हैं। यहाँ के प्रमुख स्थानीय मुद्दे इस प्रकार हैं:
बुनियादी सुविधाओं का अभाव: ग्रामीण इलाकों में आज भी बुनियादी सुविधाओं और आर्थिक अवसरों की कमी प्रमुख चुनौतियां हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा: यहाँ के स्थानीय लोग अच्छे स्कूल, अस्पताल और डिस्पेंसरी की मांग कर रहे हैं।
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लोगों का मानना है कि हर बार नेता बड़ी-बड़ी बातें करके चले जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता है। इस बार उनका साफ संदेश है: “जो विकास करेगा, वोट उसी को देंगे।” भभुआ विधानसभा सीट Bihar Politics में “बदलाव की सीट” के रूप में अपनी पहचान रखती है। यह जनता के उस असंतोष को दर्शाती है जो विकास की धीमी गति से उपजा है। 2025 के चुनाव में, भाजपा के भरत बिंद को न केवल राजद के बीरेंद्र कुशवाहा से चुनौती मिलेगी, बल्कि उन्हें जनता के बदलते जनादेश की परंपरा को भी तोड़ना होगा। विकास की आस में बैठे भभुआ के वोटर इस बार किस पर भरोसा जताते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।






