बिहार विधानसभा चुनाव 2205, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: पूर्वी चंपारण जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित सुगौली विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में अपना खास महत्व रखता है। यह सीट न केवल चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी के आंदोलन से जुड़ी रही है, बल्कि 1816 में यहीं पर प्रसिद्ध ‘सुगौली संधि’ पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसने भारत-नेपाल सीमा की आधार-रेखा तय की। सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित यह सीट पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है और नेपाल की सीमा से नज़दीकी इसे और खास बनाती है। यातायात की दृष्टि से सुगौली जंक्शन एक प्रमुख स्टेशन है।
1951 में अस्तित्व में आई इस सीट पर राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही है, जहां किसी एक दल का स्थायी वर्चस्व नहीं रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने यहां चार-चार बार जीत हासिल की है। वहीं वामपंथी प्रभाव भी दिखा है, जिससे सीपीआई ने भी तीन बार यहाँ कब्ज़ा जमाया। प्रमुख नेताओं की बात करें तो यहां पर सीपीआई के रामाश्रय सिंह और भाजपा के रामचंद्र साहनी, दोनों ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है।
2020 के चुनाव में राजद उम्मीदवार शशि भूषण सिंह ने भाजपा समर्थित वीआईपी प्रत्याशी को मात्र 3,447 वोटों से हराया। इस करीबी हार का मुख्य कारण लोजपा द्वारा अलग से उम्मीदवार उतारना था, जिसने 8.3% वोट हासिल कर वीआईपी की हार सुनिश्चित कर दी। वहीं अगर साल 2025 का समीकरण देखा जाए तो एनडीए की मज़बूत पकड़ दिख रही है। 2025 के चुनाव से पहले समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं, जो भाजपा के पक्ष में दिखते हैं।
2020 में एनडीए के वोट काटने वाली वीआईपी अब राजद गठबंधन में चली गई है, और लोजपा वापस एनडीए के साथ आ गई है। इसके पहले 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सुगौली विधानसभा खंड में 32,390 वोटों की विशाल बढ़त बनाई। यह स्पष्ट करता है कि अब एनडीए की पकड़ यहां काफी मजबूत हो गई है। इन आंकड़ों के आधार पर, 2025 विधानसभा चुनाव में भाजपा के खुद उम्मीदवार उतारने की संभावना बहुत ज्यादा है, और वह 2020 की हार की भरपाई करने के लिए तैयार है।
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2024 तक सुगौली में 2,88,765 मतदाता थे, जिनमें लगभग 23.40 प्रतिशत मुस्लिम और 11.22 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता थे। राजद को मुस्लिम और यादव मतों पर भरोसा है, लेकिन एनडीए की एकजुटता और 32,000 वोटों की बढ़त के सामने विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान उसकी मुश्किलें बढ़ा सकती है। 2025 में सुगौली सीट राजनीतिक रूप से एक बेहद रोचक मुकाबले की गवाह बनने वाली है, जहाँ भाजपा अपना वर्चस्व फिर से स्थापित करने की पूरी कोशिश करेगी।