बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Raghopur Assembly Constituency: बिहार की राजनीति में राघोपुर विधानसभा सीट एक बार फिर से सुर्खियों में है। नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस सीट से नामांकन दाखिल कर आगामी चुनावी लड़ाई की शुरुआत कर दी है। यह वही सीट है, जिसने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव जैसे बड़े नामों को सत्ता तक पहुंचाया है।
राघोपुर विधानसभा क्षेत्र लालू परिवार की सियासी विरासत का प्रतीक रहा है। 1995 में लालू प्रसाद यादव ने यहां से चुनाव लड़कर इस सीट को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इससे पहले वे सोनपुर से विधायक थे। 1995 और 2000 में लालू ने जीत दर्ज की, जबकि 2000 के उपचुनाव और 2005 में राबड़ी देवी ने इस सीट से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया।
2015 और 2020 में तेजस्वी यादव ने राघोपुर से लगातार दो बार जीत हासिल की। हालांकि 2010 में राजद को यहां हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उसके बाद से पार्टी ने फिर से अपनी पकड़ मजबूत की। 2025 का चुनाव तेजस्वी के लिए न केवल एक राजनीतिक परीक्षा है, बल्कि लालू परिवार की साख को बनाए रखने की चुनौती भी है।
राघोपुर यादव बहुल क्षेत्र है, जहां इस समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। इसके अलावा, अन्य जातीय समूहों की भी उल्लेखनीय भागीदारी है, जो चुनावी समीकरणों को प्रभावित करते हैं। राजद का परंपरागत जनाधार यहां मजबूत रहा है, लेकिन बदलते राजनीतिक परिदृश्य में हर वोट की अहमियत बढ़ गई है।
वैशाली जिले में स्थित राघोपुर, भौगोलिक रूप से पटना के अधिक निकट है, लेकिन विकास के मामले में यह क्षेत्र अब भी पिछड़ा हुआ है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, और रोजगार के अवसरों की कमी यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। यह विरोधियों के लिए चुनावी हथियार बन सकता है।
राघोपुर हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसने देश को तीन केंद्रीय मंत्री दिए हैं—रामविलास पासवान, चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस। यह तथ्य इस क्षेत्र की राजनीतिक सक्रियता और महत्व को दर्शाता है।
इस बार राघोपुर में फिर से तेजस्वी यादव मैदान में हैं, और उनके सामने न केवल विरोधी दलों की चुनौती है, बल्कि जनता की अपेक्षाओं का दबाव भी है। विकास की गति, नेतृत्व की क्षमता और स्थानीय मुद्दों पर पकड़ इस चुनाव में निर्णायक साबित होगी।
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राघोपुर विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव लालू परिवार की सियासी विरासत की अगली परीक्षा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव तीसरी बार जीत दर्ज कर अपनी राजनीतिक ताकत को और मजबूत करेंगे, या कोई नया समीकरण इस सीट की दिशा बदल देगा। जनता का फैसला इस बार भी पूरे बिहार की राजनीति को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है।