बेलागंज विधानसभा (फोटो-सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections 2025: गया जिले में स्थित बेलागंज विधानसभा क्षेत्र मगध की ऐतिहासिक और राजनीतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। फल्गु नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र गया और बोधगया की निकटता के बावजूद विकास और पर्यटन के मोर्चे पर पिछड़ा हुआ है, जो आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक प्रमुख मुद्दा रहेगा।
बेलागंज की मुख्य भाषा मगही है, जो इसकी क्षेत्रीय पहचान को दर्शाती है। शिक्षा के क्षेत्र में, यहां स्थित महाबोधि महाविद्यालय (1980 में स्थापित) स्थानीय युवाओं के लिए उच्च शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें चावल मिल, मिट्टी के बर्तन और हस्तशिल्प जैसे लघु उद्योग भी आजीविका प्रदान करते हैं। बेलागंज सामान्य वर्ग की सीट है, लेकिन यहां का सामाजिक ताना-बाना चुनावी समीकरणों को जटिल बनाता है:
1962 में स्थापित यह सीट गया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। अपने इतिहास में, बेलागंज ने कांग्रेस के दबदबे को देखा, लेकिन बाद में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे अपना अभेद्य किला बना लिया। राजद ने यहां सात बार जीत दर्ज की। राजद के दिग्गज नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव इस सीट से लंबे समय तक विधायक रहे, जिन्होंने इस क्षेत्र में मजबूत व्यक्तिगत पकड़ बनाई। हालांकि, 2024 में उनके जहानाबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के कारण, बेलागंज सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसने राजनीतिक इतिहास को बदल दिया।
उपचुनाव में राजद की लगातार सात जीतों की श्रृंखला टूट गई। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की मनोरमा देवी ने निर्णायक जीत हासिल कर राजद के किले को ध्वस्त कर दिया। यह जीत न केवल जदयू के लिए, बल्कि पूरे एनडीए गठबंधन के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक बढ़ावा थी।
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दिलचस्प बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के जीतन राम मांझी ने गया सीट जीती थी, लेकिन बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में राजद को मामूली बढ़त मिली थी। इसके बावजूद, उपचुनाव में जदयू की जीत ने स्पष्ट संकेत दिया कि स्थानीय नेतृत्व और एनडीए का संगठनात्मक प्रभाव बेलागंज में बढ़ रहा है।
2025 के विधानसभा चुनावों में बेलागंज राजद बनाम जदयू की सीधी और प्रतिष्ठापूर्ण लड़ाई का गवाह बनेगा।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बेलागंज में कुल 2,86,190 मतदाता हैं। इस बार, यह देखना दिलचस्प होगा कि बेलागंज के मतदाता राजद के भावनात्मक गढ़ को चुनते हैं या जदयू की नई नेतृत्व और एनडीए के विकास के वादों पर भरोसा करते हैं।