PM मोदी और सीएम नीतीश कुमार (Image- Social Media)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। नीतीश कुमार सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए हर संभव तैयारी में जुटे हैं, जिसके लिए काफी सोच-समझकर कदम उठाए जा रहे हैं। अगर भाजपा और जदयू टिकट बंटवारे में 70 प्लस के फॉर्मूले पर वीटो लगाती है, तो मौजूदा 9 विधायकों के चुनाव लड़ने पर ग्रहण लग सकता है।
भाजपा और जदयू इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में आयु सीमा की नीति लागू कर सकती है। भाजपा पहले से ही यह दांव आजमाती रही है। भाजपा सत्तर की उम्र पार कर चुके नेताओं को मैदान में उतारने से बचती रही है। ऐसे में भाजपा पुराने चेहरों की जगह युवा नेताओं को मैदान में उतारकर नया नेतृत्व तैयार करने की रणनीति अपनाती रही है।
ऐसा माना जा रहा है कि जदयू भी इस बार भाजपा के नक्शेकदम पर आगे बढ़ सकती है। बिहार विधानसभा में भाजपा और जदयू के कई बुजुर्ग विधायक हैं, जिनमें से कुछ 80 तो कुछ 75 की उम्र पार कर चुके हैं। एनडीए के 9 विधायक ऐसे हैं, जो 70 की उम्र पार कर चुके हैं, जिनमें से छह जदयू के और तीन भाजपा के हैं। अगर भाजपा और जदयू आयु सीमा नीति कार्ड खेलते हैं, तो उनके लिए 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ना मुश्किल हो जाएगा।
JDU के 70 प्लस विधायक (Image- Social Media)
सुपौल से जदयू विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव वर्तमान विधानसभा में सबसे बुजुर्ग विधायक हैं। बिजेंद्र यादव 80 साल पार करने वाले हैं। सुल्तानगंज से जदयू विधायक ललित नारायण मंडल 75 साल के हो रहे हैं। बहादुरपुर से जदयू विधायक मदन सहनी की उम्र करीब 73 साल है। बेलहर सीट से जदयू विधायक मनोज यादव 70 साल के हैं, परिहार से जदयू विधायक जितेंद्र कुमार राय भी 70 साल के हो गए हैं। रानीगंज से जदयू विधायक अचमित ऋषिदेव भी 70 साल की उम्र के करीब पहुंचने वाले हैं।
वहीं, कुम्हरार से भाजपा विधायक अरुण कुमार सिन्हा 74 साल के हो रहे हैं, बाकन सीट से भाजपा विधायक और दिग्गज नेता राम नारायण मंडल भी 72 साल के हो रहे हैं। इसके अलावा 2020 के विधानसभा चुनाव में इमामगंज सीट से जीतने वाले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी 74 साल की उम्र में चुनाव जीते थे, लेकिन 2024 में लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।
बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने अपने सिपहसालार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके लिए सीटवार सर्वे भी कराए जा रहे हैं। ऐसे में भाजपा और जदयू दोनों ने इस बार काफी सोच-समझकर उम्मीदवारों का चयन करने की योजना बनाई है। उम्र की सीमा और पार्टी की रणनीति में फिट नहीं बैठने वाले विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। इस सूची में जदयू को बिजेंद्र प्रसाद यादव और ललित नारायण मंडल जैसे अपने दिग्गज नेताओं के टिकट भी काटने पड़ सकते हैं।
PM नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार (Image- Social Media)
इसी तरह भाजपा के लिए नंदकिशोर यादव से लेकर अरुण कुमार सिन्हा जैसे नेताओं को उम्मीदवार बनाना आसान नहीं होगा। महाराष्ट्र हो या हरियाणा और दिल्ली चुनाव, भाजपा का अपने वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटने का दांव कामयाब रहा है। भाजपा पुराने और उम्रदराज नेताओं की बजाय युवा नेताओं को मौका देने की रणनीति अपनाती रही है। यही वजह है कि इस बार बिहार में जदयू और भाजपा यह दांव आजमा सकती है।
जिस तरह से राजद नेता तेजस्वी यादव और जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर बिहार चुनाव में युवा नेताओं के इर्द-गिर्द राजनीतिक जाल बुन रहे हैं। यही नहीं, कांग्रेस ने भी युवाओं पर दांव लगाने की पूरी तैयारी कर ली है, जिसकी झलक पार्टी के बिहार प्रभारी से लेकर सह-प्रभारी तक में देखी जा सकती है। इसके अलावा चिराग पासवान भी युवाओं पर अपना राजनीतिक दांव चल रहे हैं। ऐसे में भाजपा और जदयू पर युवाओं को मैदान में उतारने का राजनीतिक दबाव बढ़ता जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष का फोकस युवाओं पर होता देख नीतीश कुमार ने सबसे पहले युवा आयोग के गठन की घोषणा की और उसे कैबिनेट से मंजूरी भी दिला दी।
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नीतीश कुमार ने कहा था, “बिहार के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने, उन्हें प्रशिक्षित करने और उन्हें सशक्त व सक्षम बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने बिहार युवा आयोग के गठन का निर्णय लिया।” बिहार युवा आयोग में एक अध्यक्ष, 2 उपाध्यक्ष और 7 सदस्य होते हैं, जिनकी अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष है। ऐसे में साफ है कि जेडीयू और बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में युवाओं पर दांव लगाने की पूरी तैयारी कर ली है, जिसके लिए वे अपने बुजुर्ग विधायकों और नेताओं का टिकट काटने का दांव भी चल सकते हैं।