Banana Test क्या होता है। (सौ. Instagram)
Banana Test For car Safest: आजकल सोशल मीडिया पर ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ा एक अनोखा ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे ‘Banana Test’ कहा जा रहा है। इस ट्रेंड में लोग कार के ऑटोमैटिक टेलगेट या पावर विंडो के बीच एक केला रखकर उसकी सेफ्टी जांचते नजर आ रहे हैं। देखने में यह भले ही मजाक जैसा लगे, लेकिन इसके पीछे कार की एक बेहद अहम सुरक्षा तकनीक छिपी हुई है। यही वजह है कि यह ट्रेंड अब सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कार कंपनियों के लिए भी चिंता का कारण बन गया है।
असल में Banana Test कोई आधिकारिक सेफ्टी या क्रैश टेस्ट नहीं है। यह एक अनौपचारिक और वायरल तरीका है, जिसके जरिए कार में मौजूद एंटी-पिंच सेफ्टी फीचर की सेंसिटिविटी को परखा जाता है। यह फीचर खासतौर पर ऑटोमैटिक टेलगेट और पावर विंडो में दिया जाता है, ताकि बंद होते समय किसी उंगली, हाथ या किसी अन्य चीज के फंसने पर सिस्टम तुरंत रुक जाए।
इस टेस्ट में व्यक्ति बंद होते हुए इलेक्ट्रिक टेलगेट या पावर विंडो के बीच एक केला रख देता है। इसके बाद देखा जाता है कि क्या सिस्टम केले को दबाने से पहले किसी बाधा को पहचान कर रुक जाता है और पीछे की ओर खुल जाता है। अगर टेलगेट या विंडो बिना रुके केले को कुचल देती है, तो इसका मतलब है कि एंटी-पिंच सिस्टम पर्याप्त संवेदनशील नहीं है। केला इसलिए इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह नरम और आसानी से दबने वाला होता है, जिससे उंगलियों जैसी स्थिति को दर्शाया जा सके।
हर कार में एंटी-पिंच सिस्टम की सेंसिटिविटी अलग-अलग होती है। जब सोशल मीडिया पर दो अलग ब्रांड्स की कारों के Banana Test वीडियो सामने आते हैं और एक कार रुक जाती है जबकि दूसरी केला कुचल देती है, तो ग्राहकों के मन में सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो जाते हैं। यही वजह है कि इस ट्रेंड का इस्तेमाल कई बार ब्रांड्स को ट्रोल करने या उनके सेफ्टी फीचर्स पर सवाल उठाने के लिए भी किया जा रहा है।
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यह फीचर बच्चों और पालतू जानवरों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है। अगर गलती से टेलगेट या विंडो बंद होते समय उंगली फंस जाए, तो एंटी-पिंच सिस्टम गंभीर चोट से बचा सकता है। Banana Test भले ही अनौपचारिक हो, लेकिन यह कार मालिकों को अपने वाहन की सेफ्टी को समझने का एक आसान तरीका जरूर देता है।
सोशल मीडिया का यह ट्रेंड साफ संकेत देता है कि आज के ग्राहक सिर्फ फीचर्स नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा को भी परख रहे हैं। आने वाले समय में कार कंपनियों को अपने एंटी-पिंच सिस्टम को और ज्यादा संवेदनशील और भरोसेमंद बनाना पड़ सकता है।