Electric vehicle की चार्जिग से क्या है रिश्ता। (सौ. Freepik)
नवभारत ऑटोमोबाइल डेस्क: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर पहले सीएनजी और अब ईवी गाड़ियां लोगों की पहली पसंद बनती जा रही हैं। मारुति, टाटा, महिंद्रा जैसी दिग्गज कंपनियों ने बाजार में अपनी इलेक्ट्रिक कारें उतार दी हैं और ग्राहकों में इसे लेकर काफी उत्साह भी देखा जा रहा है। लेकिन इस बीच एक बड़ी चिंता उभरकर सामने आई है— चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी।
देशभर में EV अपनाने की रफ्तार को देखते हुए भारत सरकार ने अब हाईवे पर चार्जिंग स्टेशनों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, ताकि ग्राहक बिना किसी चिंता के लंबी दूरी तय कर सकें।
सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी Convergence Energy Services Ltd. (CESL) ने देश के 16 मुख्य हाईवे और एक्सप्रेसवे पर 810 EV चार्जिंग स्टेशन लगाने की योजना बनाई है। ये स्टेशन लगभग 10,275 किलोमीटर में फैले होंगे और इन्हें FAME-II योजना के तहत स्थापित किया जाएगा। इनमें 50kW और 100kW क्षमता के DC फास्ट चार्जर लगाए जाएंगे, जो हर 25 और 100 किलोमीटर पर मिलेंगे।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने साल 2023 तक हर 40-60 किलोमीटर पर 700 चार्जिंग स्टेशन विकसित करने का लक्ष्य रखा है, जो वेवसाइड एमेनीटी के रूप में काम करेंगे। ये स्टेशन सार्वजनिक और निजी वाहनों दोनों के लिए फायदेमंद होंगे।
भारी उद्योग मंत्रालय ने FAME-II स्कीम के अंतर्गत 16 हाईवे और 9 एक्सप्रेसवे पर 1,576 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने को मंजूरी दी है। इस योजना में हर 25 किलोमीटर पर एक स्टेशन और लंबी दूरी की गाड़ियों के लिए हर 100 किलोमीटर पर चार्जिंग सुविधा होगी।
केंद्र सरकार ने 5,833 नए EV चार्जिंग स्टेशन लगाने का निर्णय लिया है, जिसके लिए 800 करोड़ रुपये की सब्सिडी तीन प्रमुख तेल कंपनियों को दी गई है। इसके साथ ही PM E-DRIVE योजना के तहत सरकार ने 1.3 बिलियन डॉलर की प्रोत्साहन राशि मंजूर की है, जिससे 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद सुनिश्चित होगी।
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इन पहलों से साफ है कि भारत सरकार EV इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी है। जैसे-जैसे चार्जिंग नेटवर्क विस्तार करेगा, वैसे-वैसे ईवी गाड़ियों की बिक्री और उपयोग में और तेजी आएगी।