India-UK Free Trade Deal में क्या कुछ है। (सौ. X)
India-UK Free Trade Deal: 25 जुलाई को भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) ने भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। इस समझौते के तहत जहां यूके की लग्जरी पेट्रोल-डीजल और महंगी इलेक्ट्रिक कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट दी गई है, वहीं कम बजट वाली छोटी और मिड साइज कारों को इस दायरे से बाहर रखा गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने इस व्यापार समझौते के जरिए यूके को सीमित छूट देकर बदले में चार गुना अधिक बाजार तक पहुंच प्राप्त की है। खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेगमेंट में भारत की निर्यात क्षमता को इस डील से मजबूती मिलेगी। यह डील प्रीमियम और हाई-एंड ईवी सेगमेंट के निर्यात को प्रोत्साहित करेगी, जिससे भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।
यह समझौता चरणबद्ध तरीके से और कोटे के अनुसार छूट प्रदान करता है। शुरुआत में यह रियायतें केवल बड़े पेट्रोल वाहनों (3,000cc से ऊपर) और डीजल वाहनों (2,500cc से ऊपर) पर लागू होंगी। पहले पांच वर्षों तक इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों को किसी तरह की रियायत नहीं मिलेगी। इससे साफ संकेत मिलता है कि भारत सरकार घरेलू निर्माताओं को समय देना चाहती है, ताकि वे ग्लोबल कंपनियों से मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर सकें।
योग्य वाहनों पर वर्तमान में लागू 110% इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाकर पांच वर्षों में 10% तक लाया जाएगा, लेकिन यह राहत केवल तय किए गए आयात कोटे के तहत ही मिलेगी। यदि कोटे से अधिक वाहन आयात किए जाते हैं तो उनके शुल्क में कटौती धीरे-धीरे की जाएगी और 10 साल के भीतर यह 50% तक सीमित होगी।
छठे वर्ष से लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों — जिनकी कीमत 80,000 पाउंड (लगभग 93 लाख रुपये) से अधिक है — पर रियायतें शुरू होंगी। इसके विपरीत, 40,000 पाउंड (लगभग 46 लाख रुपये) से कम कीमत वाली मास-मार्केट ईवी पर कोई रियायत नहीं दी गई है। इसका उद्देश्य भारत में तेजी से उभरते ईवी सेगमेंट को सुरक्षित रखना है, जिससे देश आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर हो सके।
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समझौते में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि छठे वर्ष से जिन ईवी को रियायत दी जाएगी, उनकी संख्या के अनुपात में पेट्रोल और डीजल वाहनों की संख्या में कटौती की जाएगी। इस तरह, रियायती ड्यूटी के तहत कुल आयात की अधिकतम सीमा अगले 15 वर्षों में 37,000 यूनिट तक सीमित रहेगी।
यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भारतीय ऑटो उद्योग के लिए संतुलन साधने वाला कदम है। जहां लग्जरी सेगमेंट को लेकर विदेश व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, वहीं घरेलू छोटी और बजट कार निर्माताओं को पर्याप्त सुरक्षा भी दी गई है।