EV and Charger. (Source. Pixabay)
Electric Vehicle Benefits For Customer: दिल्ली सरकार अगले वित्तीय वर्ष से नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2.0 लागू करने की तैयारी में है। इस नीति का उद्देश्य सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री बढ़ाना नहीं, बल्कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाकर हवा को साफ करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 20 दिसंबर 2025 को इस पॉलिसी से जुड़े अहम बिंदुओं को साझा करते हुए बताया कि सरकार EV को आम लोगों की पहुंच में लाने पर फोकस कर रही है। आइए जानते हैं, दिल्ली EV पॉलिसी 2.0 में क्या कुछ खास होने वाला है।
दिल्ली EV पॉलिसी 2.0 को तीन प्रमुख क्षेत्रों के इर्द-गिर्द तैयार किया गया है। इनमें EV पर सब्सिडी, वाहन स्क्रैपेज योजना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार शामिल है। सरकार का मानना है कि पेट्रोल-डीजल गाड़ियों और इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में जो बड़ा अंतर है, उसे सब्सिडी के जरिए कम किया जा सकता है। हालांकि, सब्सिडी की अंतिम राशि और ढांचा अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन संकेत साफ हैं कि EV की ऊंची कीमत अब लोगों के लिए बड़ी बाधा नहीं बनेगी।
नई EV पॉलिसी में वाहन स्क्रैपेज योजना को भी अहम स्थान दिया गया है। इसके तहत पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों को सड़क से हटाया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति अपनी पुरानी गाड़ी स्क्रैप कराकर नई इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदता है, तो उसे आर्थिक लाभ मिलेगा। इससे न सिर्फ प्रदूषण घटेगा, बल्कि लोगों को नई तकनीक अपनाने के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा।
दिल्ली EV पॉलिसी 2.0 की एक बड़ी खासियत बैटरी रीसाइक्लिंग सिस्टम है। इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरियों की औसतन उम्र करीब 8 साल होती है। इनके निपटान और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को देखते हुए सरकार एक संगठित बैटरी रीसाइक्लिंग चेन विकसित करने की योजना बना रही है। यह व्यवस्था दिल्ली में पहली बार लागू की जाएगी।
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चार्जिंग सुविधा के बिना EV को बढ़ावा देना संभव नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने साल 2030 तक 5,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। हर स्टेशन पर 4 से 5 चार्जिंग प्वॉइंट होंगे। ये स्टेशन मार्केट कॉम्प्लेक्स, मल्टीलेवल पार्किंग, सरकारी इमारतों और ऑफिस परिसरों में लगाए जाएंगे, ताकि लोगों को चार्जिंग की चिंता न करनी पड़े।