Automatic vs Manual में क्या है अतंर। (सौ. AI)
Automatic Vs Manual: भारत का ऑटोमोबाइल बाजार लगातार विकसित हो रहा है और इसके साथ ही बदल रहे हैं कारों में इस्तेमाल होने वाले ट्रांसमिशन सिस्टम। आज मार्केट में मैनुअल ट्रांसमिशन (MT) से लेकर ड्यूल क्लच ट्रांसमिशन (DCT), CVT, AMT, IMT और टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमेटिक (AT) तक कई विकल्प मौजूद हैं। हर ट्रांसमिशन की अपनी कार्यप्रणाली, फायदे और कमियाँ हैं। इनकी विस्तृत जानकारी नीचे पढ़ें।
मैनुअल ट्रांसमिशन का आविष्कार 1980 में एक फ्रेंच इन्वेंटर ने किया था।
• इसमें गियर बॉक्स, क्लच पैडल और विभिन्न साइज़ के गियर शामिल होते हैं।
• गियर बदलने के लिए क्लच पैडल दबाकर गियर लीवर से शिफ्टिंग करनी होती है।
• इसमें आरपीएम मैच न होने पर ‘जर्क’ महसूस हो सकता है।
फायदे: पूरी कंट्रोलिंग ड्राइवर के पास, कम कॉस्ट, कम मेंटेनेंस और बेहतरीन रिलायबिलिटी।
नुकसान: ट्रैफिक में बार-बार गियर बदलना परेशान करता है, नए ड्राइवरों के लिए कठिन।
यह सबसे पहला सच्चा ऑटोमेटिक सिस्टम माना जाता है।
• इसमें क्लच की जगह टॉर्क कन्वर्टर होता है, जिसमें पंप और टर्बाइन पावर ट्रांसफर करते हैं।
• स्पीड के हिसाब से गियर बदलने के लिए प्लैनेटरी गियर सिस्टम और मेट्रॉनिक सिस्टम होता है।
फायदे: क्लच पैडल की जरूरत नहीं, स्मूथ परफॉर्मेंस।
नुकसान: फ्यूल एफिशिएंसी कम, ज्यादा मेंटेनेंस और थोड़ा लैग।
1958 में लॉन्च हुआ यह सिस्टम पुली और बेल्ट पर आधारित है।
• पुली का डायमीटर बदलकर गियर रेशियो एडजस्ट होता है।
फायदे: स्मूथ ड्राइविंग, बेहतर माइलेज।
नुकसान: एक्सीलरेशन में ‘रबर-बैंड इफेक्ट’, कम रिलायबिलिटी, हाई मेंटेनेंस।
1980 में आया यह हाई-परफॉर्मेंस सिस्टम दो क्लच के साथ काम करता है।
• एक गियरबॉक्स में ऑड और दूसरे में इवन गियर रहते हैं, जिससे गियर प्री-इंगेज होते हैं।
फायदे: बेहद तेज शिफ्टिंग, कम पावर लॉस, शानदार परफॉर्मेंस।
नुकसान: लो-स्पीड में झटके, ज्यादा मेंटेनेंस और कम रिलायबिलिटी।
Ferrari ने इसे 1997 में अपनी कारों में पहली बार इस्तेमाल किया।
• इसमें मैनुअल गियरबॉक्स होता है लेकिन क्लच ऑपरेशन कंप्यूटर करता है।
फायदे: किफायती, आसान मेंटेनेंस, अच्छी एफिशिएंसी।
नुकसान: गियर शिफ्टिंग में जर्क और डिले, औसत परफॉर्मेंस।
• इसमें मैनुअल गियरबॉक्स तो रहता है लेकिन क्लच पैडल नहीं होता।
• क्लच को कंप्यूटर ऑटोमैटिकली कंट्रोल करता है।
फायदे: ट्रैफिक में आराम, मैनुअल जैसी एफिशिएंसी, कम कॉस्ट।
नुकसान: शिफ्टिंग में हल्का लैग, सीमित कारों में उपलब्ध।
कॉस्ट और परफॉर्मेंस तुलना: