G-7 Summit 2024
नई दिल्ली: इटली में आयोजित हो रहे जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित है। हर साल आयोजित होने वाले इस समिट में भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत और ग्लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर समिट में वैश्विक नेताओं के साथ जुड़ने का एक बेहतर अवसर होगा।
आउटरीच देशों में आमंत्रित
इस जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी भारत द्वारा हाल ही में आयोजित जी20 की अध्यक्षता के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां भारत ने कई विवादित मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। भारत ने अब तक वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के दो सत्रों का आयोजन किया है, जिसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर वैश्विक दक्षिण के हितों, प्राथमिकताओं और चिंताओं को सामने लाना है।
पीएम मोदी की लगातार पांचवी भागीदारी
इटली में शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी की पुष्टि करते हुए विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार को कहा कि इससे उन्हें भारत और वैश्विक दक्षिण के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर जी7 शिखर सम्मेलन में मौजूद दूसरे विश्व नेताओं के साथ बातचीत करने का अवसर भी मिलेगा। यह जी7 शिखर सम्मेलन में भारत की 11वीं भागीदारी होगी और जी7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी होगी।
द्विपक्षीय बैठके हो सकती हैं
इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी के जी-7 के नेताओं के साथ-साथ आउटरीच देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ द्विपक्षीय बैठकें और चर्चाएं करने की भी उम्मीद है। दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात पिछले साल अबू धाबी में सीओपी-28 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।
क्या है जी-7
जी-7 में सात देशों का एक समूह है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान इस समूह के हिस्सा हैं। जी-7 सदस्य देश वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 45 फीसदी और दुनिया की 10 फीसदी से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पहले 1997 और 2013 के बीच रूस को शामिल किए जाने से इसका जी-8 के रूप में विस्तार हुआ था। क्रीमिया पर कब्जे के बाद 2014 में रूस की सदस्यता सस्पेंड कर दी गई थी।
जी-7 का उद्देश्य
जी-7 का शुरुआती फोकस आर्थिक मुद्दा था। इसके बाद धीरे-धीरे शांति, सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन समेत प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर समाधान और सर्वमान्य मत खोजने के लिए विचार का एक मंच बन गया है।