अमेरिका की नई नीति से भारत पर मंडराया खतरा, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव आया है। अब वह जिहादी समूहों का समर्थन करने लगा है। ट्रंप प्रशासन उन देशों और संगठनों से सीधे संपर्क कर रहा है जो जिहाद से जुड़े हैं या उनका समर्थन करते हैं। इसके अलावा, ट्रंप खुद को मध्यस्थता में माहिर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने ऐसे क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की बात कही है, जो भारत के लिए बहुत संवेदनशील है। यह क्षेत्र है जम्मू-कश्मीर, जिसे भारत हमेशा द्विपक्षीय मामला मानता है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। लेकिन ट्रंप बार-बार जान-बूझकर कश्मीर मामले में अपनी दखल दे रहे हैं।
कश्मीर मामले में हस्तक्षेप की अपनी बढ़ती चाहत और पश्चिम तथा दक्षिण एशिया में इस्लामवादी समूहों के साथ निकटता बढ़ाने के कारण ट्रंप ने भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। भारत ने अब तक ट्रंप को एक ऐसे विश्व नेता के रूप में देखा था जो पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ था। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप का रवैया बदलता हुआ दिख रहा है।
उन्होंने कई बार पाकिस्तान की तारीफ की है। इसके अलावा, उन्होंने आतंकवाद और उसके समर्थकों के साथ संबंध बनाए हैं, जिससे भारत का उन पर भरोसा कमजोर हो गया है। इस वजह से भारत में ट्रंप प्रशासन को लेकर अविश्वास की भावना बढ़ती जा रही है।
अमेरिकी विदेश नीति के पारंपरिक दोहरे रुख को छोड़ते हुए, ट्रंप ने एक साथ भारत और पाकिस्तान दोनों की तारीफ की है। उन्होंने दोनों देशों को महान बताया और पाकिस्तान के लोगों को शानदार कहा, साथ ही उन्हें “अद्भुत उत्पाद बनाने वाले” भी बताया। जबकि उनको ये बात पता है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ है। बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के समय अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर मौजूद थे। इस घटना के बाद जेडी वेंस ने अपनी यात्रा के प्लान में कुछ बदलाव भी किया था और हमले की कड़ी निंदा भी की।
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कई दशकों से ये देखने को मिल रहा है कि अमेरिका के नेता संकट के समय भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ संवाद बनाए रखते आए हैं। उदाहरण के लिए, बिल क्लिंटन ने कारगिल युद्ध के दौरान बातचीत की थी, लेकिन वे सीधे विवाद में शामिल होने से बचते थे। शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने भारत और पाकिस्तान को बराबर समझने की कोशिश की, लेकिन बाद में उन्होंने भारत पर अधिक ध्यान देना शुरू किया और पाकिस्तान से दूरी बनाई। अब डोनाल्ड ट्रंप फिर से भारत और पाकिस्तान को समान दृष्टि से देखने की नीति अपना रहे हैं, जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है।
इस महीने डोनाल्ड ट्रंप की साख को गंभीर झटका लगा है, क्योंकि उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर एक ऐसा रुख अपनाया है जो विवादित है। साथ ही, उन्होंने पश्चिम एशिया में यमन के हूतियों और सीरिया के आतंकवादी अहमद अल-शरा जैसे चरमपंथियों के साथ भी बातचीत की है। ट्रंप भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे जिहाद को सामान्य नजरिए से देखा जा रहा है। इससे पहले अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाता था, लेकिन अब वही देश विभिन्न जिहादियों से सीधे संपर्क बना रहा है।
इसी ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल में तालिबान के साथ समझौता किया था, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से वापस लौट आए थे।