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Ukraine Launches Homegrown Flamingo Missile Attack On Russia: रूस के साथ चल रहे भीषण युद्ध के बीच यूक्रेन ने अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश ने पहली बार अपनी खुद की विकसित की गई लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइल, जिसे ‘फ्लेमिंगो’ नाम दिया गया है का सफल उपयोग किया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पश्चिमी देशों से हथियारों की आपूर्ति में अक्सर देरी होती रही है और अमेरिका से टॉमहॉक जैसी महत्वपूर्ण मिसाइलों की मांग पूरी नहीं हो पाई है। ‘फ्लेमिंगो’ का यह पहला इस्तेमाल यूक्रेन के लिए न केवल एक बड़ी सफलता है बल्कि यह देश के रक्षा उद्योग में बढ़ती आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है।
गुरुवार की रात यूक्रेनी सेना ने पहली बार अपनी स्वदेशी ‘फ्लेमिंगो’ मिसाइल का इस्तेमाल किया और एक प्रमुख रूसी तेल रिफाइनरी को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। यूक्रेन के जनरल स्टाफ ने पुष्टि की कि इस हवाई हमले में रूस और रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित कई ठिकानों को टारगेट किया गया। यह मिसाइल यूक्रेन के घरेलू रक्षा स्टार्टअप ‘फायर पॉइंट’ द्वारा विकसित की गई है और इसकी मारक क्षमता लगभग 3,000 किलोमीटर तक बताई जाती है।
यह हमला यूक्रेन की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें रूस के कमजोर ऊर्जा बुनियादी ढांचे को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह रूसी तेल सुविधाओं पर यूक्रेन द्वारा किया गया चौथा बड़ा हमला था, जिसका उद्देश्य रूस की लॉजिस्टिक्स और ईंधन आपूर्ति को गंभीर रूप से बाधित करना है। इस मिसाइल के साथ यूक्रेनी सेना ने कई ड्रोन और अन्य मिसाइलों को भी तैनात किया जिन्होंने दर्जनों लक्ष्यों को सफलतापूर्वक भेदा है। हमले का एक वीडियो भी जारी किया गया, जिसमें रात के आसमान में मिसाइलों के कारण रोशनी दिखाई दे रही थी, हालाकि हमले से हुए नुकसान का आकलन अभी किया जा रहा है।
‘फ्लेमिंगो’ मिसाइल का सफल उपयोग यूक्रेन के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, खासकर जब पश्चिमी सहयोगियों से उन्नत हथियारों की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। यूक्रेन लंबे समय से अमेरिका से शक्तिशाली टॉमहॉक मिसाइलों की मांग कर रहा था, लेकिन कथित तौर पर ट्रंप प्रशासन ने इसकी आपूर्ति से इनकार कर दिया था। ऐसे में ‘फ्लेमिंगो’ का मैदान में उतरना दर्शाता है कि यूक्रेन अब अमेरिकी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने और खुद के बल पर युद्ध लड़ने की क्षमता विकसित कर रहा है। यह स्वदेशी मिसाइल उत्पादन में वृद्धि पश्चिमी हथियारों की आपूर्ति में देरी और कुछ प्रतिबंधों के कारण हुई है।
माना जा रहा है कि रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर लगातार हमले करना यूक्रेन की एक सोची-समझी रणनीतिक कोशिश है। रूस को आर्थिक और सैन्य रूप से कमजोर करने के लिए उसकी तेल रिफाइनरियों और ईंधन डिपो को निशाना बनाना सबसे प्रभावी तरीका माना जा रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ‘फ्लेमिंगो’ मिसाइल की जोरदार प्रशंसा की है। उन्होंने इसे देश के शस्त्रागार में अब तक की सबसे सफल मिसाइल बताया है। जेलेंस्की ने कुछ महीने पहले ही संकेत दिया था कि यूक्रेन ने ‘फ्लेमिंगो’ और ‘रूटा’ जैसी स्वदेशी मिसाइलों को युद्ध के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है।
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मॉस्को टाइम्स के अनुसार, रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल हमले पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालाकि उन्होंने दावा किया है कि उनकी वायु रक्षा प्रणालियों ने क्रीमिया और अन्य क्षेत्रों में 130 यूक्रेनी ड्रोनों को हवा में ही रोक दिया। मिसाइल हमलों का कोई जिक्र न करना रूस की ओर से इस बड़ी सफलता को कमतर आंकने की कोशिश हो सकती है।