यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की (सोर्स- सोशल मीडिया)
Zelensky Corruption Case: रूस के साथ साढ़े तीन साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन एक अप्रत्याशित राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। मोर्चे पर रूसी सेना लगातार दबाव बढ़ा रही है, वहीं राजधानी कीव में एक बड़े भ्रष्टाचार घोटाले ने जेलेंस्की सरकार को घेर लिया है। इस घटनाक्रम ने यूक्रेनी जनता और पश्चिमी देशों में चिंता बढ़ा दी है, जो युद्ध के समय यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहयोग दे रहे हैं।
पूर्वी मोर्चे पर तनाव के बीच, यूक्रेन के शीर्ष सैन्य कमांडर ने गुरुवार को एक ऐसे अहम शहर का दौरा किया, जहां अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक रूसी सेना की घेराबंदी का सामना कर रहे हैं। यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि बीते कुछ हफ्तों में रूस ने इस दिशा में अपनी सैन्य गतिविधि तेजी से बढ़ाई है।
दूसरी ओर, कीव में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। ऊर्जा क्षेत्र में लंबे समय से चल रही कथित रिश्वतखोरी की जांच के बाद बुधवार को यूक्रेन के न्याय और ऊर्जा मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सरकार ने राज्य-नियंत्रित परमाणु ऊर्जा कंपनी एनरगोटॉम के उपाध्यक्ष को भी बर्खास्त कर दिया।
बताया जा रहा है कि यह कंपनी रिश्वतखोरी के एक ऐसे नेटवर्क के केंद्र में है, जिसने कथित रूप से लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अवैध कमाई की।
प्रधानमंत्री यूलिया स्विरीडेंको ने देर रात बताया कि कंपनी के वित्त, कानूनी और खरीद विभागों के प्रमुखों सहित कंपनी अध्यक्ष के एक सलाहकार को भी पद से हटा दिया गया है। कीव की अदालत ने भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसियों की 15 महीने की जांच पर सुनवाई शुरू कर दी है, जिसमें 1,000 घंटों की वायरटैप रिकॉर्डिंग भी शामिल है। इस मामले में अब तक 5 लोगों को हिरासत में लिया गया है जबकि 7 अन्य लोग संदिग्धों की सूची में शामिल हैं।
मामला तब और गंभीर हो गया जब जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की की प्रोडक्शन कंपनी क्वार्टल 95 भी जांच के दायरे में आ गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी के सह-मालिक तिमूर मिनडिच इस साजिश के कथित मास्टरमाइंड हैं। उनका ठिकाना फिलहाल अज्ञात बताया जा रहा है।
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इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार के शीर्ष अधिकारी इस घोटाले से वाकिफ थे, या उन्होंने जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया। यह मामला उस विवाद की भी याद दिलाता है जब पिछले वर्ष जेलेंस्की ने भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसियों की शक्तियों को सीमित करने की कोशिश की थी, जिसे जनता के भारी विरोध और यूरोपीय संघ के दबाव के बाद वापस लिया गया।
इस घोटाले ने यूक्रेन के नागरिकों में नाराजगी पैदा कर दी है। जनता सवाल कर रही है कि युद्ध के बीच भी अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का रास्ता क्यों नहीं छोड़ा। इसी बीच यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने घोषणा की कि यूरोपीय संघ यूक्रेन को 6 अरब यूरो का ऋण देगा और आने वाले दो वर्षों तक उसकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद जारी रखेगा।