तुर्की का गैर-परमाणु हथियार परीक्षण (फोटो- सोशल मीडिया)
Turkey Non-Nuclear Weapon Test: तुर्की ने हाल ही में दो अत्याधुनिक और घातक बमों GAZAP और NEB-2 ‘Ghost Bomb’ का सफल परीक्षण किया है। इससे भारत के लिए खतरे की तरह देखा जा रहा है। क्याोंकि आपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया था और उसे भारत पर हमले के लिए ड्रोन और मिसाइल दिए थे।
जानकारी के अनुसार, इन दोनों बमों का वजन लगभग 970 किलोग्राम (2,000 पाउंड) है और इन्हें विशेष रूप से F-16 लड़ाकू विमानों से दागे जाने के लिए तैयार किया गया है। इनकी सबसे बड़ी खासियत इनकी विध्वंसकारी क्षमता है, जो विस्फोट के बाद सैकड़ों वर्गमीटर क्षेत्र को प्रभावित करती है। खासतौर पर NEB-2 ‘Ghost Bomb’ में 10,000 अति सूक्ष्म धातु कण होते हैं, जो विस्फोट के समय 10.6 कण प्रति वर्गमीटर की दर से चारों ओर फैल जाते हैं।
वहीं, दूसरी ओर GAZAP बम एक थर्मोबैरिक वारहेड से लैस है, जो पारंपरिक विस्फोटकों की तुलना में कहीं अधिक उच्च तापमान और दबाव उत्पन्न करता है। ऐसे बम खासकर शहरी युद्ध, बंकर नष्ट करने और घने आबादी वाले क्षेत्रों में अधिकतम क्षति पहुंचाने के लिए प्रभावी माने जाते हैं। थर्मोबैरिक विस्फोटक वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके अत्यधिक गर्म और तेज विस्फोट लहर उत्पन्न करते हैं, जो आस-पास की हर चीज़ को भस्म कर सकती है। इसका प्रभाव केवल भौतिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी गहरा होता है।
This is the GAZAP bomb, the world’s most destructive non-nuclear thermal weapon, tested by Turkey. Recently, Turkey tested their missiles capable of reaching Israel. Turks are creating some serious stuff. pic.twitter.com/N29mZzRFeP
— Saeth Laal (@syedhaenz) July 27, 2025
GAZAP और NEB-2 ये दोनों ही तुर्की की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता और आत्मनिर्भरता की बढ़ती शक्ति का प्रतीक हैं। पिछले दो दशकों में तुर्की ने सैन्य तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। जिसमें ड्रोन, मिसाइल सिस्टम, युद्धपोत, बख्तरबंद वाहन और सैटेलाइट तकनीक शामिल हैं। तुर्की की तैफुन हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल जिसकी गति मैक 5 से अधिक और रेंज 800 किमी है, पहले ही अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित कर चुकी है।
तुर्की और पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ सालों में सैन्य सहयोग में प्रमुख रुप से वृद्धि हुई है। तुर्की ने पाकिस्तान को बायरकटार TB2 ड्रोन, मिल्गेम श्रेणी के युद्धपोत, और गाइडेड मिसाइल सिस्टम जैसे उन्नत हथियार उपलब्ध कराए हैं। पाकिस्तान का PNS बाबर युद्धपोत, जो मिल्गेम परियोजना के अंतर्गत विकसित हुआ है, इस सहयोग का स्पष्ट प्रमाण है।
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वहीं, भारत और तुर्की के संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से गहरे रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में तुर्की द्वारा पाकिस्तान के पक्ष में खुले समर्थन और खासकर कश्मीर मुद्दे पर सार्वजनिक बयानबाजी ने इन संबंधों में खटास पैदा कर दी है।