मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम घोषित (सोर्स- सोशल मीडिया)
Nobel Prize 2025: नोबेल पुरस्कार देने वाली कमेटी ने साल 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम का ऐलान कर दिया है। इसमें एक नाम अमेरिका से भी है, लेकिन वो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नहीं है। फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में अमेरिका की मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और जापान के शिमोन सकागुची को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। स्टॉकहोम स्थित कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट ने सोमवार को इस पुरस्कार की घोषणा की।
इन वैज्ञानिकों को यह सम्मान पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस यानी शरीर के बाहरी हिस्सों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की सहनशीलता से जुड़ी उनकी महत्वपूर्ण खोजों के लिए दिया गया है। यह खोज इम्यून सिस्टम को समझने और नियंत्रित करने में क्रांतिकारी मानी जा रही है। हालांकि अभी और नामों की घोषणा होना बाकि है।
हमारा इम्यून सिस्टम आमतौर पर शरीर को वायरस और बैक्टीरिया जैसे बाहरी खतरों से बचाता है, लेकिन कभी-कभी यह गलती से अपने ही अंगों पर हमला कर देता है इस स्थिति को ऑटोइम्यून बीमारी कहा जाता है, जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस, टाइप-1 डायबिटीज और ल्यूपस।
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The 2025 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell and Shimon Sakaguchi “for their discoveries concerning peripheral immune tolerance.” pic.twitter.com/nhjxJSoZEr — The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2025
पहले माना जाता था कि इम्यून सेल्स शरीर के भीतर ही क्षमाशील बन जाती हैं इसे सेंट्रल इम्यून टॉलरेंस कहा जाता था। लेकिन नोबेल विजेताओं ने यह साबित किया कि शरीर के बाहरी हिस्सों में भी एक नियंत्रक तंत्र सक्रिय होता है, जिसे पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस कहा जाता है।
1990 के दशक में शुरू हुई इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने ‘रेगुलेटरी टी सेल्स’ (Tregs) नामक विशेष कोशिकाओं की भूमिका खोजी, जो इम्यून सिस्टम को संतुलित रखने में मदद करती हैं। जब ये कोशिकाएं ठीक से काम नहीं करतीं, तो शरीर अपने ही अंगों पर हमला करने लगता है। यह खोज न सिर्फ ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में मददगार साबित होगी, बल्कि कैंसर, एलर्जी और अंग प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) जैसे क्षेत्रों में भी नए इलाज के रास्ते खोल सकती है।
फरवरी 2025 में दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने सात लंबे युद्ध खत्म कराने में अहम भूमिका निभाई है, जिनमें भारत-पाकिस्तान, कंबोडिया-थाईलैंड, अर्मेनियाई-अज़रबैजानी, इजरायल-ईरान जैसे संघर्ष शामिल हैं। हालांकि, उनके इन दावों में कई कमियां हैं। भारत-पाकिस्तान संघर्ष में भारत ट्रंप की भूमिका को अस्वीकार करता है, जबकि पाकिस्तान उन्हें श्रेय देता है।
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कंबोडिया-थाईलैंड के बीच मध्यस्थता मलेशिया ने की थी, न कि अमेरिका। इजरायल और ईरान के बीच शांति के उनके दावे भी विवादास्पद हैं, क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर बमबारी की थी। ईरान युद्ध रुकवाने के लिए कतर और मिस्र को श्रेय देता है, जिन्होंने शांति वार्ता की मध्यस्थता की। ऐसे में उन्हें नोबेल मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।