चीन में गुफाओं के बीच बनी एक खास लाइब्रेरी (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
China’s Unique Cave Library: दुनिया का सबसे अनोखा और उतार-चढ़ाव से भरे रास्तों वाला लाइब्रेरी चीन में है। यह कोई साधारण पुस्तकालय नहीं है, बल्कि एक खास पुस्तकों का भंडार स्थल है। अपने कठिन रास्ते की वजह से इसे दुनिया का सबसे अनोखा पुस्तकालय भी कहा जाता है। चीन के गुआंग्शी प्रांत के मियांहुआ गांव के पास स्थित मियांहुआ पुस्तकालय आज दुनिया भर के लोगों की नजर में है। इस लाइब्रेरी को एक चट्टान के किनारे एक विशाल गुफा में बनाया गया है।
एक बड़ी गुफा के अंदर स्थापित मियांहुआ पुस्तकालय अनियमित दीवारों पर बना हुआ है। इन दीवारों पर हज़ारों किताबें लगी हैं। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, मियांहुआ पुस्तकालय इस साल मई महीने में खोला गया है। लाइब्रेरी के खुलने के बाद से ही यह चीनी सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहा है।
यह लाइब्रेरी किताब प्रेमियों के साथ-साथ सोलो ट्रिप पसंद करने वाले यूथ्स के लिए एक खास जगह है। आमतौर पर पुस्तकालय बहुत लोकप्रिय नहीं होते, लेकिन यह कोई साधारण पुस्तकालय नहीं है। यह न केवल पुस्तक प्रेमियों के लिए, बल्कि जो लोग दुनिया के कोने-कोने को अपने दमपर निहारना चाहते हैं, उसे जीना चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए एक खास जगह है।
एक ऊँची चट्टान के किनारे बना और हरियाली से घिरा मियांहुआ पुस्तकालय देखने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कारीगरी से निर्मित लगता है। लेकिन वास्तव में इस जगह का एआई तकनीक से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक वास्तविक जगह है, जहां कोई भी जा सकता है। बशर्ते वहां पहुंचने के लिए वह एक कठिन यात्रा करने में खुद को सक्षम समझे।
पहली ही नज़र में अगर लाइब्रेरी को बाहर से देखा जाए तो यह बेहद ही प्रभावशाली लगता है। इसके लकड़ी के गलियारे और चट्टान से लटकी हुई बालकनियां हैं, लेकिन इसका अंदर का भाग किताब प्रेमियों के लिए ज्ञान का विशाल और अविस्मरणीय भंडार है।
चीन के गुआंग्शी प्रांत के मियानहुआ गांव के पास स्थित यह अनोखी लाइब्रेरी, किताबों और रोमांचक नजारों का एक खास संगम संजोए हुए है। यह अनोखी चट्टान से बनी लाइब्रेरी इतनी अद्भुत है कि लोग इसे देखकर हैरान हो जाते हैं।
डुजियांगयान झोंगशुगे :चीन में अपनी डिजाइन और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध
एडमोंट एबे ऑस्ट्रिया :दुनिया की सबसे बड़ी मठ लाइब्रेरी। प्रतिदिन अधिक लोग आते हैं।
यह भी पढ़ें: इस देश में चलाई गई थी दुनिया की पहली ट्रेन