बांग्लादेश में विद्रोह की पटकथा लिखने वाले तीन छात्र (डिजाइन फोटो)
ढाका: बांग्लादेश में विद्रोह हुआ, सड़क पर प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स और जनता संसद के साथ-साथ पीएम आवास तक पहुंच गई और प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ गया। विद्रोह और प्रदर्शन की ख़बरें सबने देखी और सुनीं। इस विद्रोह की पटकथा लिखने वाले तीन नौजवान स्टूडेंट्स की चर्चा किसी ने नहीं की। जिनके आह्वान ने बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को जड़ से उखाड़कर फेंक दिया।
अगर ये कहा जाय कि बांग्लादेश में हुए विद्रोह और तख्तापलट की पटकथा केवल तीन छात्रों ने लिख दी तो आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन यही सच है। इन्हीं तीन छात्रों ने आरक्षण विरोधी प्रदर्शन की नींव रखी। इन्होंने शेख हसीना सरकार की बर्बरता को भी झेला। लेकिन इन स्टूंडेंट्स ने हौसला नहीं छोड़ा और शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ गया। इसीलिए हम लेकर आए हैं उन तीन छात्रों की कहानी आइए जानते हैं–
कहते हैं कि ‘सड़क का संघर्ष कभी खाली नहीं जाता’। इस कहावत के नतीजे दुनिया के कोने-कोने से आए दिन सामने आते रहते हैं। इस बार यह परिणाम बांग्लादेश से आया। यहां तीन नौजवानों नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार ने सड़क पर उतरकर संसद को बर्खास्त करवा दिया। प्रधानमंत्री शेख हसीना को जान बचाकर बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा, और सेना ने अंतरिम सरकार बना ली।
ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र नाहिद इस्लाम को इस विद्रोही प्रदर्शन का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। नाहिद को पुलिस ने 20 जुलाई को गिरफ्तार किया, हिरासत में लोहे की रॉड्स से पिटाई की। 24 घंटे बाद नाहिद को अचेत अवस्था में पुल के नीचे पाया गया। लेकिन 26 जुलाई को डिटेक्टिव ब्रांच ने सुरक्षा का हवाला देते हुए नाहिद को फिर अस्पताल से उठा लिया गया। जिसके बाद नाहिद का एक बयान सामने आया।
छात्र आंदोलन का मुखिया, नाहिद इस्लाम (सोर्स-सोशल मीडिया)
रविवार को नाहिद इस्लाम ने अपने बयान में कहा कि “आज हमने लाठियां उठाई हैं, अगर लाठियां काम नहीं करेंगी तो हम हथियार उठाने के लिए भी तैयार हैं। पीएम हसीना देश को गृह युद्ध में धकेलना चाहती हैं। अब शेख हसीना को फैसला करना है कि वह पद छोड़ेंगी या पद पर बने रहने के लिए खून-खराबे का सहारा लेंगी।” जिसके बाद सोमवार को बांग्लादेश में क्या हुआ आप सबके सामने हैं।
नाहिद इस्लाम का साथी छात्र आसिफ महमूद (सोर्स-सोशल मीडिया)
आसिफ इस आंदोलन की पटकथा लिखने वाला ढाका यूनिवर्सिटी का ही एक और छात्र है। 26 जुलाई को डिटेक्टिव ब्रांच की तरफ से अरेस्ट किए गए छात्रों में आसिफ भी शामिल था। हिरासत के दौरान नाहिद और आसिफ ने एक वीडियो जारी कर प्रदर्शन वापस लेने के भी कहा था। लेकिन बाद में पता चला वह वीडियो टॉर्चर कर के बनवाया गया था। 1 अगस्त को हिरासत से बाहर आए आसिफ ने फिर एक फेसबुक पोस्ट के जरिए आंदोलन का आह्वान कर दिया।
अबू बकर मजूमदार भी ढाका यूनिवर्सिटी का छात्र है और उस तिकड़ी का हिस्सा है जिसने बांग्लादेश में तख्तापलट करने वाले आंदोलन को हवा दी। अबू बकर भी उन में से है जिन्हे हिरासत में लेकर टॉर्चर किया गया, आंदोलन वापस लेने का दबाव बनाया गया, मारपीट की गई और बाद में मजबूरी में छोड़ दिया गया। उसके बाद फिर जो हुआ वह सबके सामने है।