सांकेतिक तस्वीर
India on United Nations: भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए उसे वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताया और कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान हमेशा दोहरा रवैया अपनाता आया है। भारत के प्रतिनिधि ने पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने के प्रयास की निंदा की।
यूएन में पाकिस्तान मिशन के काउंसलर मुहम्मद जवाद अजमल ने कहा था कि देशों को आतंकवाद और विदेशी कब्जे के खिलाफ लोगों के वैध प्रतिरोध के बीच अंतर करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि भारत पर हमला करने वाले फ्रीडम फाइटर हैं, जो विदेशी कब्जे का विरोध कर रहे थे।
इस पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव रघु पुरी ने अजमल के बयान को पाकिस्तान का दोहरेपन और पाखंड का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है, और पाकिस्तान जैसे देश इसके माध्यम से लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
रघु पुरी ने कहा, आतंकवाद सबसे गंभीर अपराधों में से एक है जो मानवता की जड़ों पर हमला करता है। यह कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और भय का सबसे भयानक रूप है। उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद का गढ़ रहा है, जिसके नेटवर्क दुनियाभर में निर्दोष लोगों पर हुए कई आतंकी हमलों से जुड़े हैं।
पुरी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानून की गलत व्याख्या कर रहा है। अजमल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 46/51 का हवाला देकर आतंकवाद और स्वतंत्रता संग्राम को अलग बताने की कोशिश की, लेकिन उस प्रस्ताव में कहीं भी आतंकवाद को वैध नहीं ठहराया गया है।
1994 की महासभा घोषणा के अनुसार, किसी भी राजनीतिक, वैचारिक, धार्मिक या अन्य कारणों से आम जनता में आतंक फैलाने वाले आपराधिक कृत्य किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराए जा सकते।
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वास्तव में, प्रस्ताव 46/51 में स्वतंत्रता संघर्षों का उल्लेख अवश्य है, लेकिन इसमें आतंकवाद को सख्ती से निंदनीय बताया गया है और यह स्पष्ट किया गया है कि आतंकवाद के सभी रूप और तरीके आपराधिक और अनुचित हैं, चाहे वे कहीं भी और किसी द्वारा भी किए जाएं।