बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन (फोटो- सोशल मीडिया)
Taslima Nasreen Remark on Bangladesh: विवादास्पद लेखन और बयानों के लिए पहचानी जाने वाली बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने एक बार फिर अपने देश के मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका देश जिहादियों की गिरफ्त में है, जिन्हें सिर्फ खून-खराबा ही पसंद आता है। तसलीमा ने सवाल किया कि उनका देश इस कट्टरपंथी सोच से कब आजाद होगा। उनके इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें बांग्लादेश की वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
तसलीमा नसरीन ने अपने पोस्ट में बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ की तारीफ करते हुए लिखा कि यही एक चीज है जिस पर उन्हें गर्व है। उन्होंने बताया कि कैसे वह अपने फ्रांसीसी दोस्तों को इसका मतलब समझाती थीं कि जहां दुनिया के कई राष्ट्रगान खून और हत्या की बात करते हैं, वहीं उनका राष्ट्रगान प्रेम का संदेश देता है। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि आज जिहादी ताकतें इसी राष्ट्रगान से नफरत करती हैं, क्योंकि वे प्रेम का मूल्य नहीं समझते और उनके दिल नफरत से भरे हुए हैं।
Other than the national anthem, I don’t find much to be proud of about my country. When I lived in Paris, I used to tell my French friends: your national anthem La Marseillaise speaks only of blood and killing, but our national anthem speaks of love. I would sing the song in…
— taslima nasreen (@taslimanasreen) September 4, 2025
तसलीमा नसरीन ने बांग्लादेश की बदलती विदेश नीति और भारत के साथ तल्ख होते रिश्तों पर भी निशाना साधा। उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम को याद करते हुए लिखा कि जिस भारत के 17,000 सैनिकों ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी, आज उसे ही दुश्मन माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस भारत ने एक करोड़ बांग्लादेशी शरणार्थियों को पनाह और खाना दिया, स्वतंत्रता सेनानियों को ट्रेनिंग दी, आज उसी भारत को दुश्मन समझा जा रहा है, जबकि अत्याचारी पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाई जा रही है।
I do not rejoice at hearing news of someone’s execution. I rejoice when religion and the state are separated, when religious politics is rejected,
when civilized law replaces religious law, when genuine democracy is practiced, when equal rights for women are ensured, when secular…— taslima nasreen (@taslimanasreen) September 4, 2025
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तसलीमा ने अपने एक अन्य पोस्ट में स्पष्ट किया कि उन्हें किसी की फांसी की खबर सुनकर खुशी नहीं होती। उन्होंने लिखा कि उनकी असली खुशी तब होती है जब धर्म को राजनीति से अलग कर दिया जाता है, जब महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलता है, जब देश में धार्मिक कानूनों की जगह सभ्य और धर्मनिरपेक्ष कानून लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि जब अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान होता है, आतंकवाद और बलात्कार जैसी घटनाएं खत्म होती हैं और लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं, असल में वही पल उनके लिए खुशी लेकर आता है।