ISIS आतंकियों पर तालिबान का शिकंजा, ( डिजाइन फोटो)
Pakistan Attack on Afghanistan: पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा दक्षिण एशिया की सबसे अस्थिर सीमाओं में से एक मानी जाती है और वर्तमान में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। हाल ही में पाकिस्तानी वायुसेना ने काबुल में एयरस्ट्राइक की जिसके बाद अफगान तालिबान में आक्रोश फैल गया। रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रमुख नूर वाली महसूद की मौत हुई है, हालांकि तालिबान ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
पाकिस्तान ने भी इस एयरस्ट्राइक की जिम्मेदारी नहीं ली है। इस बीच, एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान का यह कदम बेहद जोखिमभरा है और इससे युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान के लड़ाके पाकिस्तान में ISIS आतंकियों को निशाना बना रहे हैं, जिससे पाकिस्तान का गुस्सा बढ़ा है।
अमेरिका के पूर्व विशेष दूत और कूटनीतिज्ञ जालमे खलीलजाद ने एक एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर सैन्य कार्रवाई की है जो एक गंभीर तनावपूर्ण स्थिति है और दोनों देशों के लिए गंभीर परिणाम खड़े कर सकती है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान में घुसकर ISIS के कुछ नेताओं को निशाना बनाया और कई को मार डाला। खलीलजाद का यह भी कहना है कि पाकिस्तान ने लापरवाही भरे ढंग से ISIS आतंकवादियों का समर्थन किया, ताकि वह अफगानिस्तान और अपने देश में बलूच राष्ट्रवादियों की गतिविधियों से निपट सके।
Today's Pakistani strikes against Afghanistan's capital are a huge escalation and pose dangerous risks. In recent days, Taliban operatives have been active in Pakistan attacking ISIS and killing a number of its leaders. The Pakistanis have been recklessly backing ISIS… — Zalmay Khalilzad (@realZalmayMK) October 9, 2025
अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि खलीलजाद के अनुसार, अफगानिस्तान की सरकार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करा रही है, जो पाकिस्तान के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। टीटीपी एक संगठित आतंकवादी समूह है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा (दुरंड लाइन) के दोनों तरफ सक्रिय है और पिछले कई वर्षों में पाकिस्तान में हजारों लोगों की जान ले चुका है। इनमें 2014 का आर्मी पब्लिक स्कूल हमला भी शामिल है। खलीलजाद ने चेतावनी दी है कि सैन्य उपाय इस तनाव को और बढ़ा सकते हैं और इससे अधिक विनाश और हताहत होंगे इसलिए यह किसी समाधान का हिस्सा नहीं बन सकते।
अमेरिकी दूत ने सुझाव दिया है कि समस्या का समाधान युद्ध के बजाय बातचीत के जरिए होना चाहिए। उन्होंने काबुल और इस्लामाबाद के बीच सीधे संवाद को प्राथमिकता देने की बात कही ताकि दुरंड रेखा के दोनों ओर आतंकवादी ठिकानों को समाप्त किया जा सके। उनका मानना है कि यह तरीका न केवल संघर्ष को कम करेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में स्थिरता लाने में भी मददगार होगा।
बीती रात काबुल में पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने कम से कम दो हवाई हमले किए। इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने संसद में कहा कि हमने काबुल को चेतावनी दी थी कि उनके क्षेत्र में 6-7 हज़ार आतंकी हैं जो पाकिस्तान पर हमले कर रहे हैं। लेकिन तालिबान ने इसके बजाय पैसे की मांग शुरू कर दी। अब सब्र की सीमा पार हो चुकी है। आसिफ ने अफगानिस्तान पर टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाते हुए “पूर्ण युद्ध” की चेतावनी दी।
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पाकिस्तान में टीटीपी की गतिविधियां अब पिछले दशक में सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी हैं। 2025 में अब तक टीटीपी ने 600 से अधिक हमले किए, जो कि 2024 के पूरे साल की तुलना में ज़्यादा हैं। 13 सितंबर को साउथ वजीरिस्तान और लोअर डिर में हुए हमलों में 19 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि सुरक्षा बलों ने 35 टीटीपी आतंकियों को खत्म किया। 8 अक्टूबर को खैबर पख्तूनख्वा में सैन्य काफिले पर हमला हुआ जिसमें 11 सैनिक शहीद हुए, जिनमें दो अधिकारी भी शामिल थे। टीटीपी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और इसे पाकिस्तानी सेना की क्रूरता का जवाब बताया।