सीरिया में इस्लामिक विद्रोह
दमिश्क: सीरिया में भी बांग्लादेश जैसे हालात होने के आसार हैं। विद्रोहियों का समूह देश की राजधानी दश्मिक पहुंच चुका है। ऐसे में बशर अल-असद की सत्ता अब खतरे में है। वहीं देश की बिगड़ते हालात को देखकर लोगों का पलायन हो चुका है।
सीरिया में इस्लामी विद्रोहियों के राजधानी दमिश्क पहुंचने का खतरा बढ़ गया है।
इस आशंका को देखते हुए देश के तीसरे बड़े शहर होम्स से हजारों लोग पलायन होना शुरू कर दिये हैं। विद्रोहियों ने गुरुवार को हमा पर कब्जा कर लिया था।
2011 से सीरिया की सत्ता में
पिछले सप्ताह एक और अहम शहर एलेप्पो पर भी उनका कब्जा हो चुका है। हमा पर कंट्राेल राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए दूसरा बड़ा झटका है। 2011 से सीरिया में एक दशक के युद्ध के बाद भी राष्ट्रपति बशर अल-असद का शासन कायम रहा था क्योंकि उन्होंने इसकी तैयारी की थी। उन्होंने अपने पिता से बहुत कुछ सीखा था।
बशर अल-असद ने इन देशों से ली थी मदद
बशर अल-असद को अपनी सत्ता बचाने में कामयाबी इसलिए भी मिली थी क्योंकि उन्हें ताकतवर सहयोगी ईरान, रूस और लेबनानी हिज्बुल्लाह से मदद मिली थी। इन सहयोगियों ने सीरिया में विद्रोही समूहों के खिलाफ बशर अल-असद की मदद की थी। सीरिया में विद्रोही समूह जिहादी कट्टरवादी इस्लामिक स्टेट से लेकर कई और हथियारबंद समूह थे। जिन्हें अमेरिका और खाड़ी के अमीर शाही सरकारों से मदद मिल रही थी।
मुश्किल में फंसा सीरिया
अभी इजरायल से तनातनी के कारण ईरान की हालत कमजोर है। जाहिर है कि इजरायल के साथ अमेरिका भी खड़ा है। ईरान का सहयोगी हिज्बुल्लाह भी बशर अल-असद को बचाने के लिए अपने लड़ाकों को भेजता था लेकिन इजरायली हमले में हिज्बुल्लाह भी ताकत खो चुका है। रूस ने पिछले कुछ दिनों में बशर अल-असद के समर्थन में सीरिया में विद्रोही गुटों के खिलाफ हवाई हमला किया है, लेकिन रूस की भी यूक्रेन से जंग के कारण सैन्य क्षमता पहले की तरह नहीं है।