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स्पेसवॉक से लेकर कमांडर बनने तक, Sunita Williams का NASA सफर

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को ओहायो, अमेरिका में हुआ। भारतीय और स्लोवेनियाई मूल की सुनीता को विज्ञान और अंतरिक्ष में गहरी रुचि थी।

  • By सिमरन सिंह
Updated On: Mar 19, 2025 | 11:49 AM

Sunita williams का कैसा था NASA में सफर। (सौ. Design)

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नवभारत साइंस डेस्क: सुनीता “सुनी” विलियम्स भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने नासा में एक प्रतिष्ठित करियर बनाया है। उनके साहसिक मिशनों और उपलब्धियों ने उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। आइए उनके करियर पर एक विस्तृत नजर डालते हैं।

प्रारंभिक जीवन और नासा में प्रवेश

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को ओहायो, अमेरिका में हुआ। भारतीय और स्लोवेनियाई मूल की सुनीता को विज्ञान और अंतरिक्ष में गहरी रुचि थी। उन्होंने यूएस नेवल एकेडमी से भौतिक विज्ञान में स्नातक और फिर फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की।

1987 में वे अमेरिकी नौसेना में शामिल हुईं और एक टेस्ट पायलट के रूप में कई मिशनों का हिस्सा बनीं। 1998 में, उन्हें नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया और उनके अंतरिक्ष करियर की शुरुआत हुई।

नासा में प्रशिक्षण और पहली अंतरिक्ष यात्रा

नासा के अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में शारीरिक और मानसिक परीक्षणों के साथ-साथ उच्च तकनीकी दक्षताओं की आवश्यकता होती है। सुनीता ने विभिन्न सिमुलेशन, माइक्रोग्रेविटी ट्रेनिंग और रोबोटिक्स संचालन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

पहला मिशन (STS-116, 2006-07)

सुनीता विलियम्स की पहली अंतरिक्ष यात्रा 10 दिसंबर 2006 को शुरू हुई, जब वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए स्पेस शटल डिस्कवरी के जरिए रवाना हुईं। इस मिशन में उन्होंने 195 दिनों तक ISS पर काम किया, जो किसी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए उस समय का रिकॉर्ड था।

महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

  • सबसे लंबी अंतरिक्ष यात्रा करने वाली महिला: STS-116 मिशन के दौरान 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया।
  • स्पेसवॉक का रिकॉर्ड: उन्होंने कुल 7 स्पेसवॉक किए, जिनका कुल समय 50 घंटे 40 मिनट रहा। यह किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
  • रनिंग मैराथन इन स्पेस: 2007 में, सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में रहते हुए बोस्टन मैराथन पूरी की, जिसे उन्होंने एक ट्रेडमिल पर दौड़कर पूरा किया।

दूसरा मिशन (Expedition 32/33, 2012)

सुनीता ने अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा 15 जुलाई 2012 को की, जब वे सोयुज टीएमए-05एम यान से ISS पहुंचीं। इस मिशन में उन्होंने 127 दिन अंतरिक्ष में बिताए और ISS की कमांडर बनने वाली दूसरी महिला बनीं।

इस मिशन के दौरान उन्होंने:

  • कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों का नेतृत्व किया।
  • अंतरिक्ष में अतिरिक्त 3 स्पेसवॉक पूरे किए।
  • ISS के बाहरी हिस्सों में मरम्मत और तकनीकी सुधार किए।

तीसरा मिशन (Boeing Starliner, 2024)

5 जून 2024 को, सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर बोइंग स्टारलाइनर कैलीप्सो में सवार होकर ISS के लिए रवाना हुए। हालांकि, तकनीकी खराबियों के कारण यह मिशन अप्रत्याशित रूप से 9 महीने (288 दिन) लंबा हो गया, जो नासा के इतिहास में एक दुर्लभ घटना थी।

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सम्मान और प्रेरणा

सुनीता विलियम्स को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें शामिल हैं:

  • नासा स्पेस फ्लाइट मेडल
  • नासा डिस्टिंग्विश्ड सर्विस मेडल
  • लेजन ऑफ मेरिट
  • पद्म भूषण (भारत सरकार द्वारा)

उनकी यात्रा न केवल विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान में मील का पत्थर है, बल्कि वे दुनिया भर के युवाओं, विशेष रूप से महिलाओं और भारतीय मूल के लोगों के लिए एक प्रेरणा भी हैं।

नासा में सफर

सुनीता विलियम्स की नासा यात्रा एक दृढ़ संकल्प, विज्ञान और साहस की कहानी है। उनकी उपलब्धियाँ अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई हैं और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

Sunita williams nasa journey from spacewalk to becoming a commander

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Published On: Mar 19, 2025 | 11:49 AM

Topics:  

  • Ministry of Earth Sciences
  • NASA
  • SpaceX
  • Sunita Williams

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