इजरायल ने सोमालीलैंड को मान्यता दी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Israel Recognise Somaliland: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है, जिसने पूरी दुनिया की सियासत में हलचल मचा दी है। इजरायल ने सोमालिया के अलग हुए क्षेत्र सोमालीलैंड को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश बन गया है। इजरायल के इस कदम से सोमालिया के साथ अरब देशों में उसके रिश्ते और खराब होने सकते हैं।
नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल सोमालीलैंड के साथ कृषि, स्वास्थ्य और तकनीक के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल की इस मान्यता से अन्य देशों को भी सोमालीलैंड को मान्यता देने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। इससे सोमालीलैंड की अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत होगी और उसके उत्पाद और व्यापार वैश्विक बाजार तक पहुंच पाएंगे।
सोमालिया के प्रधानमंत्री हमजा अब्दी बेरी ने इस कदम को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इजरायल की यह कार्रवाई सोमालिया की संप्रभुता पर हमला है। इस फैसले से सिर्फ सोमालिया ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी चिंता पैदा हो गई है। खासकर अरब देशों में गुस्सा देखा जा रहा है। तुर्की और जिबूती के विदेश मंत्रियों ने इस कदम की कड़ी निंदा की।
वहीं, मिस्र के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि चारों देशों ने सोमालिया की संपूर्णता और संप्रभुता के समर्थन को दोहराया और चेतावनी दी कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर कर सकती है। मंत्रियों ने यह भी कहा कि किसी संप्रभु देश के हिस्से को स्वतंत्र मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ है। अफ्रीकी संघ ने भी चेतावनी दी कि ऐसे फैसले पूरे महाद्वीप में शांति और सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
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सोमालीलैंड अदन की खाड़ी के पास स्थित एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसकी अपनी मुद्रा, पासपोर्ट और पुलिस बल है। यह क्षेत्र 1991 में पूर्व तानाशाह जनरल सियाद बर्रे के खिलाफ स्वतंत्रता संघर्ष के बाद अस्तित्व में आया और तब से अलगाव का सामना कर रहा है। लगभग छह मिलियन लोग यहां रहते हैं और यह क्षेत्र पिछले कुछ सालों में सोमालिया, इथियोपिया और मिस्र के बीच कई क्षेत्रीय विवादों का केंद्र बन गया है। इजरायल ने कई सालों से मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने की कोशिश की है। सोमालीलैंड को मान्यता देना इस दिशा में उसका नया कदम माना जा रहा है, लेकिन इससे क्षेत्रीय राजनीति और स्थिरता पर असर पड़ने की आशंका है।