शेख हसीना की उम्रकैद हटाकर फांसी की मांग, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Sheikh Hasina News: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की कानूनी मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) के अभियोजक ने उनकी उम्रकैद की सजा को फांसी में बदलने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय अदालत में औपचारिक अपील दायर की है। इस अपील में शेख हसीना के साथ-साथ देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल की सजा बढ़ाने की भी मांग की गई है।
बांग्लादेशी सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस न्यूज के मुताबिक, यह अपील जुलाई में हुए कथित सामूहिक विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों से जुड़ी है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि इन अपराधों की गंभीरता को देखते हुए उम्रकैद की सजा अपर्याप्त है और इसके स्थान पर मौत की सजा दी जानी चाहिए।
आईसीटी के अभियोजक गाजी एमएच तममी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के बाद ट्रिब्यूनल परिसर में प्रेस को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के मामलों में शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है लेकिन सजा में एकरूपता नहीं है। एक आरोप में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई जबकि दूसरे गंभीर आरोप में उम्रकैद दी गई।
तममी ने स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष का मानना है कि जिन आरोपों में उम्रकैद दी गई है वे भी उतने ही गंभीर हैं जितने वे आरोप जिनमें मौत की सजा सुनाई गई। ऐसे में उम्रकैद को बनाए रखना न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने बताया कि इसी आधार पर आठ प्रमुख कारणों का हवाला देते हुए अपील दाखिल की गई है।
अभियोजक ने यह भी कहा कि कानून के तहत फैसले के 30 दिनों के भीतर अपील दायर करना अनिवार्य होता है और अभियोजन पक्ष ने यह प्रक्रिया समयसीमा के भीतर पूरी कर ली है। इसके अलावा, अपील दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर उसके निपटारे का प्रावधान है। तममी ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट तय समयसीमा के भीतर इस अपील पर सुनवाई कर फैसला सुनाएगा।
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यह अपील 17 नवंबर को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-1 द्वारा दिए गए उस फैसले को आंशिक रूप से चुनौती देती है, जिसमें शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल को एक बड़े आरोप में मौत की सजा और एक अन्य आरोप में प्राकृतिक मृत्यु तक कारावास की सजा सुनाई गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हुई हैं।