व्लादिमीर पुतिन (सोर्स: सोशल मीडिया)
मॉस्को: रूस और यूक्रेन जंग में दोनों देशों को अब तक काफी नुकसान हो चुका हैं। इस युद्ध के कारण पूरा विश्व पर आर्थिक दृष्टिकोण से इसकी चपेट में है। इस युद्ध का पश्चिमी देशों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है। पश्चिमी देश दो धड़ों में बंट चुके हैं। कोई यूक्रेन का साथ दे रहा है तो रूस का। ज्यादतर पश्चिमी देश रूस के खिलाफ हैं और युक्रेन को युद्ध के लिए हथियार उपलब्ध करा रहे हैं। इसमें अमेरिका और ब्रिटेन का नाम सबसे आगे हैं।
यूक्रेन द्वारा रूस पर हमला करने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन की ओर से उपलब्ध कराए गए हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंधों में ढील देने की कोशिश की जा रही है जिसकी वजह से रूस एवं पश्चिमी देशों में तनाव बढ़ गया है। इसी बीच अब रूस भी इन देशों में बदला लेने में मुड़ में आ गया हैं। रूस ने ब्रिटेन को तगड़ा झटका देने जा रहा है। रूस ने छह ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी का आरोप लगाया है।
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रूस के अधिकारियों ने छह ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा। रूस की संघीय सुरक्षा सेवा ने शुक्रवार को एक ऑनलाइन बयान में कहा कि इन राजनयिकों की मान्यता वापस लेने का निर्णय लिया गया है। रूस के सरकारी टीवी चैनल ने एफएसबी नामक सुरक्षा सेवा के एक अधिकारी के हवाले से जानकारी दी कि इन राजनयिकों को निष्कासित कर दिया जाएगा।
यह निष्कासन ऐसे वक्त हो रहा है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से बातचीत के लिए वाशिंगटन की यात्रा कर रहे हैं। इस बातचीत के दौरान, रूस के अंदरूनी भागों को निशाना बनाने के लिए पश्चिमी देशों से मिले हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति को लेकर यूक्रेन के अनुरोध पर भी चर्चा की जाएगी।
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स्टॉर्मर ने अमेरिका यात्रा से पहले कहा था कि ब्रिटेन ‘‘रूस के साथ कोई टकराव नहीं चाहता।” उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ‘‘रूस ने यह संघर्ष शुरू किया। रूस ने अवैध तरीके से यूक्रेन पर आक्रमण किया। रूस इस संघर्ष को खत्म कर सकता था।” उन्होंने कहा कि ‘‘यूक्रेन के पास आत्मरक्षा का अधिकार है और हम स्वाभाविक रूप से, आत्मरक्षा के यूक्रेन के अधिकार का समर्थन करते हैं। आप जानते हैं हम उन्हें प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन हमें रूस के साथ कोई विवाद नहीं चाहिए। हमारा ऐसा बिल्कुल भी इरादा नहीं है।”
‘एफएसबी’ ने कहा कि उसे इस संबंध में दस्तावेज मिले हैं जो यह दर्शाते हैं कि राजनयिकों को ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के एक प्रभाग द्वारा भेजा गया था ‘जिनका मुख्य काम हमारे देश पर रणनीतिक रूप से पराजय थोपना था’ और इसके लिए वे ‘खुफिया जानकारी जुटाने और विध्वंसकारी गतिविधियों में लिप्त’ थे।
एफएसबी ने राजनयिकों की पहचान की जानकारी दिए बिना बताया कि इन दस्तावेजों के आधार पर और ‘ब्रिटेन द्वारा उठाए गए कई द्वेषपूर्ण कदमों के जवाब में’ रूस के विदेश मंत्रालय ने राजनयिकों की मान्यता वापस ले ली है। इसने चेतावनी दी कि यदि अन्य राजनयिक भी ‘इसी प्रकार की गतिविधियों’ में संलिप्त पाए गए तो एजेंसी रूस में उनके ‘मिशनों को शीघ्र समाप्त करने की मांग करेगी।’
रूसी सरकारी टीवी ने एक रिपोर्ट में कहा कि छह राजनयिकों ने उन स्वतंत्र मीडिया और अधिकार समूहों से मुलाकात की जिन्हें ‘विदेशी एजेंट’ कहा जाता है। राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय ‘क्रेमलिन’ की आलोचना करने वाले संगठनों एवं व्यक्तियों के लिए रूस ‘विदेशी एजेंट’ संदर्भ का इस्तेमाल करता है।
मॉस्को स्थित ब्रिटिश दूतावास ने इस बारे में टिप्पणी के एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के अनुरोध पर तत्काल कुछ नहीं कहा। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय की ओर से भी फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने एक ऑनलाइन बयान में कहा कि ‘‘हम ब्रिटेन के तथाकथित राजनयिकों की गतिविधियों के बारे में ‘एफएसबी’ के आंकलन से सहमत हैं। ब्रिटिश दूतावास ने वियना समझौते का उल्लंघन किया है। उसने अपनी सारी हदें पार कर ली हैं।”
उन्होंने कहा कि राजनयिक ‘‘हमारे लोगों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त थे”। फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से पश्चिमी देशों द्वारा रूसी एवं रूस द्वारा पश्चिमी देशों के राजनयिकों को निष्कासित करना आम हो गया है। रूसी समाचार संगठन ‘आरबीसी’ ने पिछले साल कहा था कि पश्चिमी देशों और जापान ने 2022 की शुरुआत से अक्टूर 2023 के बीच कुल 670 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया है जबकि रूस ने 346 राजनयिकों को निष्कासित किया है।
‘आरबीसी’ के अनुसार यह पिछले 20 साल की तुलना में सबसे अधिक है। मई में ब्रिटेन ने लंदन में रूस के रक्षा अताशे को निष्कासित किया था और आरोप लगाया था कि वह एक अघोषित खुफिया अधिकारी हैं तथा ब्रिटेन में कई रूसी राजनयिक प्रतिष्ठानों को यह कहकर बंद कर दिया था कि उनका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा रहा था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)