रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Putin India Visit On December 5-6 Three Major Agreements Likely To Be Signed: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। हालाकि, तारीखों की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह 5-6 दिसंबर को 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आ रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के बीच कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी मजबूत होने की उम्मीद है, खासकर रोजगार, एस-400 राडार सिस्टम और लड़ाकू विमानों को लेकर तीन बड़े समझौतों पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और जुर्माने से बचने के लिए रूस से तेल की खरीद कम कर रहा है, जो दोनों देशों के साथ भारत के संतुलित रिश्तों को दिखाता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार रूस में अपने समकक्षों से बातचीत कर रहे हैं ताकि इस यात्रा को पूरी तरह से सफल बनाया जा सके।
समझौतों में सबसे पहला है लेबर मोबिलिटी करार। रूस पहले ही ऐलान कर चुका है कि वह अपने औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 10 लाख भारतीय कुशल श्रमिकों की भर्ती करेगा। इस करार का प्रारूप लगभग तैयार हो चुका है, जिसमें श्रमिकों की आवाजाही, उनकी सुरक्षा और आव्रजन (इमिग्रेशन) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय श्रमिकों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
दूसरा महत्वपूर्ण करार अत्याधुनिक एस-400 राडार सिस्टम की खरीद से जुड़ा है। भारत पहले ही रूस से पांच एस-400 सिस्टम खरीद चुका है, जिनमें से तीन उसे मिल गए हैं और दो की आपूर्ति अभी बाकी है। अब, भारत पांच और एस-400 सिस्टम खरीदने का इच्छुक है। यह सिस्टम भारत की हवाई सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इस राडार सिस्टम ने दुश्मन के हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने इसकी उपयोगिता को और भी साबित किया है।
तीसरा बड़ा और रणनीतिक करार लड़ाकू विमानों के सह-उत्पादन (Co-Production) का है। भारतीय वायुसेना को तत्काल 114 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत है। रूसी विमान सुखोई-57 इस मानक पर पूरी तरह खरा उतरता है। शिखर सम्मेलन के दौरान, सुखोई-57 को भारत में सह-उत्पादन की शर्त पर खरीदने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है। यह करार भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बढ़ावा देगा।
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इन तीन प्रमुख करारों के अलावा, पुतिन के दौरे में रक्षा, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, नवीन ऊर्जा, आपदा प्रबंधन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी कई नए समझौते हो सकते हैं। कुछ पुराने करारों का नवीनीकरण भी संभव है। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि भू-राजनीतिक स्तर पर भी भारत की स्थिति को सुदृढ़ बनाएगी।