पोप फ्रांसिस, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस फेफड़ों में गंभीर संक्रमण से पीड़ित हैं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई है। उनकी शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए लोगों ने उनके जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं। इधर, लोगों की दुआओं ने असर दिखाना भी शुरू कर दिया है। वेटिकन ने पोप फ्रांसिस की सेहत को लेकर अपडेट दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वह डबल निमोनिया से जूझ रहे हैं, लेकिन उनकी तबीयत में कुछ सुधार देखा गया है।
हालांकि, डॉक्टरों का मानना है कि उनकी हालत अभी पूरी तरह स्थिर नहीं हुई है। सीटी स्कैन में संक्रमण के इलाज की सामान्य प्रगति नजर आई है, और रक्त परीक्षणों में भी सुधार के संकेत मिले हैं।
मंगलवार को पोप का सीटी स्कैन किया गया था। वेटिकन के अनुसार, उनकी गुर्दे से जुड़ी समस्या में अब सुधार हो रहा है, और उन्हें सांस से जुड़ी फिजियोथेरेपी दी जा रही है। यह पहली बार है जब वेटिकन ने पुष्टि की है कि फेफड़ों से द्रव निकालने में सहायता के लिए पोप का फिजियोथेरेपी उपचार किया जा रहा है।
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हाल ही में पोप फ्रांसिस के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हजारों लोग सेंट पीटर स्क्वायर में एकत्रित हुए और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए प्रार्थना की। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस, जो फेफड़ों के गंभीर संक्रमण से जूझ रहे हैं, पिछले 13 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। वेटिकन में दूसरे सर्वोच्च पद पर आसीन कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने 45 मिनट तक चली इस विशेष प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया।
पहले चिकित्सकों ने आगाह किया था कि पोप फ्रांसिस के लिए सबसे बड़ा खतरा ‘सेप्सिस’ हो सकता है, जो रक्त संक्रमण की एक गंभीर स्थिति है। हालांकि, वेटिकन द्वारा जारी अब तक की चिकित्सा रिपोर्टों में ‘सेप्सिस’ के लक्षणों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
पोप फ्रांसिस, जो अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी हैं, 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के स्थान पर यह पद संभाला। खास बात यह है कि बीते एक हजार वर्षों में वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो यूरोप के बाहर से आकर कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं।