पोप फ्रांसिस का निधन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
इंटरनेशनल डेस्क: आज 21 अप्रैल को ईस्टर सोमवार को पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित निवास पर निधन हो गया। पोप फ्रांसिस फरवरी 2025 से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे। इसकी घोषणा वेटिकन केमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने की। फेरेल ने अपनी घोषणा में कहा कि आज सुबह 7:35 बजे, रोम के बिशप फ्रांसिस पिता के घर लौट आए। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था।
आपको बताते चलें कि पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के ऐसे पहले पोप थे, जो लैटिन अमेरिकी थे। पोप फ्रांसिस बेनेडिक्ट XVI के हटने देने के बाद 2013 में पोप बने थे। पोप फ्रांसिस को कार्यकाल 12 साल का रहा। इस दौरान उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ा था।
पोप के उत्तराधिकार से जुड़ी रस्में सदियों पुरानी हैं। कैथोलिक पत्रकारों और शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा प्रत्येक कार्डिनल के लिए एक नई ऑनलाइन गाइड तैयार की गयी है। जिसके बाद इस चयन प्रक्रिया को एक आधुनिक रूप दिया गया है। अब कार्डिनल पोप फ्रांसिस के बाद अगला पोप चुनेंगे।
पोप को लेकर ऐसी परंपरा है कि कोई पुरुष ही पोप बन सकता है, हालांकि इसके लिए उम्र 80 साल से कम होने की परंपरा है। कार्डिनल में से ही पोप चुने जाते हैं। किसी कार्डिनल को दो-तिहाई वोट मिलने तक वोटिंग जारी रहती है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक किसी भी कार्डिनल को 77 कार्डिनल्स के वोट नहीं मिल जाते हैं। इसके बाद ही नए पोप का चुनाव होता है।
पोप के चुनाव के लिए तीन-तीन कार्डिनल्स के तीन समूह बनाए जाते हैं। पोप के चुनाव में इन तीनों समूहों का अहम योगदान होता है। कार्डिनल का पहला समूह स्क्रूटनियर्स मत पत्रों की गिनती करता है। दूसरा समूह रिवाइजर मतों की फिर से गिनती करता है। तीसरा समूह इन्फर्मी और अन्य कॉर्डिनल्स से बैलट जमा करने का काम करता है।
इस परंपरा का अनुसार हर कार्डिनल को दिन में चार बार वोट डालने का अधिकार होता हैं। पहले स्क्रूटनियर बैलट गिनकर दूसरी प्लेट में रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्डिनल्स ने वोट दे दिए हैं या नहीं। हर बैलट से एक स्क्रूटनियर नाम नोट करके दूसरे को देता है। दूसरे स्क्रूटनियर भी नाम को नोट करना है। इसके बाद तीसरा स्क्रूटनियर हर कॉर्डिनल का नाम कॉन्क्लेव में बोलता है। जब तक दो-तिहाई वोट नहीं मिल जाते तब तक यह प्रक्रिया चलती रहती है।
9 दिन के शोक काल के बाद, कार्डिनल्स का कॉलेज एक नए पोप का चुनाव करने के लिए सिस्टिन चैपल में एक सम्मेलन आयोजित कर वहां सभी इकट्ठा होते है। इस सम्मेलन में 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल गोपनीयता की शपथ के साथ पोप बनने की गुप्त प्रक्रिया में भाग लेते हैं। वे अपने नाम के बिना मतपत्र (वोट) डालते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि कोई उम्मीदवार कम से कम दो-तिहाई बहुमत प्राप्त नहीं कर लेता।
इस दौरान काला धुआं असफल वोट दर्शाता है, जबकि सफेद धुआं नए पोप के चुनाव की घोषणा करता है। नए पोप की घोषणा करते समय दुनिया के सामने “हैबेमस पापम” इस वाक्य को दोहराया जाता है, जिसका अर्थ होता है – हमारे पास एक पोप है। जो कि कैथोलिक चर्च के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। पोप फ्रांसिस ने 2024 में पोप के अंतिम संस्कार की रस्मों को संशोधित किया था। उन्होंने अनुष्ठानों को सरल बनाया था और वेटिकन के बाहर दफनाने की अनुमति दी।
कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन, इटली – पोप बनने के लिए 70 वर्षीय इतालवी कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन पोप फ्रांसिस के विदेश मंत्री हैं। ये वर्तमान में उनके उत्तराधिकारी बनने के लिए सबसे बड़े दावेदारों में से एक हैं। उन्हें 10 साल पहले अमेरिका-क्यूबा के बीच संबंधों में आई दरार और 2018 के वेटिकन-चीन समझौते में मध्यस्थता के लिए जाना जाता है।
पोप फ्रांसिस से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले, फिलीपींस – फिलीपींस के 67 वर्षीय फिलिपिनो कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले भी लंबे समय से वेटिकन पर नज़र रखने वालों में से एक प्रमुख पापबिली रहे हैं। अमेरिकी कैथोलिक का मानना है कि वे मीडिया-प्रेमी, करिश्माई और खुशमिजाज़ हैं। यही वजह है कि इन्हें भी पोप के प्रबल दावेदार के रूप में माना जा रहा है।