मोदी की चाल से टूटेगा ट्रंप का एशिया प्लान, ( डिजाइन फोटो )
Modi Ignores Trump Calls: जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर अलगेमाइन जितुंग (FAZ) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चार फोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। बताया जा रहा है कि यह कदम अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले के विरोध में उठाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप लगातार भारत को अमेरिकी कृषि कारोबार के लिए बाज़ार खोलने का दबाव बना रहे थे, लेकिन मोदी इस पर सहमत नहीं हुए। पीएम पहले भी कह चुके हैं कि किसानों के हितों के लिए भारत किसी के सामने झुकेगा नहीं, चाहे इसके लिए दोस्ती की कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े।
इसी बीच, बुधवार को ट्रंप ने मोदी को ‘टेरेफिक’ कहने के बाद भारत पर 50% टैरिफ लागू करने की घोषणा कर दी। वहीं भारत यात्रा पर आए फिजी के प्रधानमंत्री ने भी मोदी से कहा कि भले ही सब आपसे नाराज़ हैं, लेकिन आप कठिन परिस्थितियों को संभालने की क्षमता रखते हैं।
भारत दौरे पर आए फिजी के प्रधानमंत्री सितवेनी लिगामामादा राबुका ने पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि कोई व्यक्ति ‘आपसे बहुत खुश नहीं है’ , लेकिन आपका व्यक्तित्व इतना मजबूत और व्यापक है कि आप हर तरह की असहज परिस्थितियों को सहजता से संभाल लेते हैं। दिल्ली स्थित सप्रू हाउस में भारतीय वैश्विक परिषद (ICWA) द्वारा आयोजित ‘शांति का महासागर’ विषयक व्याख्यान के बाद श्रोताओं से बातचीत में पीएम राबुका ने मोदी के साथ अपनी मुलाकात का अनुभव साझा किया।
जर्मन अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत ने अमेरिका के सामने झुकने से साफ इंकार कर दिया है। ट्रंप का आरोप रहा है कि भारत की तेल खरीद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को पैसा मुहैया करा रही है और यही पैसा यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि यूरोपीय यूनियन के कई देश और खुद अमेरिका भी रूस से लगातार सामान खरीदते रहे हैं।
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रिपोर्ट में वियतनाम की एक हालिया घटना का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी किसी “राजनीतिक शो” का हिस्सा बनने में विश्वास नहीं रखते। जबकि ट्रंप ने वियतनाम के साथ वास्तविक समझौता न होने के बावजूद सोशल मीडिया पर पहले ही एक व्यापार डील की घोषणा कर दी थी। विश्लेषक मार्क फ्रेज़ियर के मुताबिक, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की बनाई गई रणनीति अब कमजोर हो रही है। यानी, चीन को रोकने के लिए जिस क्वॉड गठबंधन को अमेरिका ने मजबूत करने की कोशिश की थी, उसमें भारत की भूमिका अब उसकी योजना के विपरीत दिशा में जाती दिख रही है।
भारत-रूस और चीन
भारत अब चीन और रूस के साथ मिलकर एक मज़बूत गठबंधन RIC (रूस, इंडिया और चीन) की ओर कदम बढ़ा रहा है, जिससे ट्रंप की चिंता बढ़ गई है। अगर यह गठबंधन वास्तविक रूप लेता है, तो अमेरिका की रणनीति को बड़ा झटका लगेगा। इसी बीच पीएम मोदी जल्द ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होने चीन जा रहे हैं, जहां इस मुद्दे पर ठोस चर्चा संभव है। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी चीन की यात्रा कर चुके हैं और वहां पर चीन ने इस गठबंधन को और मजबूत बनाने पर जोर दिया था।