तस्वीर में पीएम मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग
नई दिल्ली: रूस के कजान शहर में आयोजि 16वें ब्रिक्स समिट से एक तस्वीर काफी चर्चा में है। ये तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की है। खास बात ये है कि ये तीनों नेता एक साथ एक फ्रेम में हैं। बस यही तस्वीर पूरे ब्रिक्स समिट के दौरान चर्चा में रही। वहीं तीनों नेताओं की एक साथ ये तस्वीर पश्चिमी देशों के लिए संदेश बताया जा रहा है।
तस्वीर में पुतिन पीमए मोदी और जिनपिंग के बीच में हैं। यानी पुतिन के अगल-बगल पीएम मोदी और शी जिनपिंग हैं। इस दौरान पुतिन कैमरे की तरफ मुस्कुराते हुए थम्स अप का इशारा कर रहे हैं। बता दें कि पांच साल बाद ब्रिक्स समिट में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात हुई।
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पीमए मोदी और जिनपिंग आखिरी बार साल 2019 में मिले थे। तब शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आए थे। ब्रिक्स जैसे मंच पर दो सबसे बड़े आबादी वाले देशों के नेताओं की मुलाकात हुई। रूस ने इसे दुनिया भर में अपनी रणनीतिक सफलता के रूप में दिखाने की कोशिश की है।
कजान में ब्रिक्स सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा था जब एक तरफ तो यूक्रेन में युद्ध हो रहा है और दूसरी तरफ व्यापार के क्षेत्र में रूस पश्चिमी देशों के दबदबे को चुनौती देने में लगा हुआ है। स्तंभकार सुधींद्र कुलकर्णी ने रूस के कजान में हुई इस ब्रिक्स समिट को इतिहास की सबसे सफल ब्रिक्स समिट बताया है और पुतिन को इसका हीरो।
President Putin is the HERO of this BRICS Summit in Kazan… the most fruitful summit in the history of BRICS.
The West-dominated world order is changing… now it’ll change faster and become more democratic. https://t.co/2jQGVNxjef
— Sudheendra Kulkarni (@SudheenKulkarni) October 24, 2024
जब से युक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ा है, अमेरिका समेत बाकी पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए है। दोनों देशों के संबंध नाजुक है। वहीं दूसरी ओर बात इतनी आगे बढ़ चुकी है कि पिछले साल इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी आईसीसी ने यूक्रेन में कथित युद्धापराधों के मामले में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी कर दिया था।
ब्रिक्स में जो घोषणापत्र जारी किया गया है उसमें भी अप्रत्यक्ष तौर पर पश्चिम द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का जिक्र है। इसके मुताबिक, हम विश्व अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति पर अवैध प्रतिबंधों सहित गैर-कानूनी एकतरफा उपायों के बांटने वाले प्रभाव के बारे में गहराई से चिंतित हैं।
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ये संयुक्त राष्ट्र चार्टर, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, सतत विकास और पर्यावरण समझौतों को कमजोर करते हैं। वे आर्थिक विकास, ऊर्जा, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। जिससे गरीबी और पर्यावरणीय चुनौतियां बढ़ती हैं।
बता दें कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के दौरान जहां अमेरिका समेत पश्चिमी देश यूक्रेन के समर्थन और सहयोग में हैं। वहीं इस दौरान रूस ने चीन से नजदीकियां बढ़ा ली है। यही नहीं पुतिन उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से भी संबंध मजबूत कर रह रहे हैं। भारत तो रूस मित्र राष्ट्र है ही। ऐसे में रूस, चीन और भारत का एक साथ एक मंच पर देखना जाहिर सी बात है पश्चिमी देशों के लिए हजम होने वाली बात नहीं है। वहीं एक तरह से तीनों देशों का एक साथ आना अप्रत्यक्ष रूस से पश्चिमी देशों के लिए चुनौती ही है।