पीएम मोदी आसियान शिखर सम्मेलन ( सौ. एक्स )
वियनतियाने: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार यानी 10 अक्टूबर 2024 को दो दिवसीय यात्रा पर लाओस की राजधानी वियनतियाने पहुचें। इस दौरान उन्होंने 21वें आसियान समिट को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है। जब दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव का माहौल है, वहीं भारत और आसियान की मित्रता, संवाद और सहयोग महत्वपूर्ण है। आज 11 अक्टूबर को पीएम मोदी 19वीं ईस्ट एशिया समिट में हिस्सा लेंगे।
पीएम मोदी ने आसियान के साथ हुई बैठक में भाषण देते हुए कहा कि हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं, ग्लोबल साउथ के साथी सदस्य हैं। हम यानी भारत एक शांतिप्रिय देश है। हम एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने आसियान भारत सम्मेलन में इन देशों के साथ भारत के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने के लिए दस सूत्रीय सुझाव भी दिए। जिसके तहत साल 2025 को आसियान भारत पर्यटन वर्ष घोषित किया गया। साथ ही इसे बढ़ावा देने के लिए भारत की तरफ से 50 लाख डॉलर योगदान दिया गया। आने वाले साल में आसियान भारत एफटीए में संशोधन करने के साथ हेल्थ सेक्टर में सहयोग, ग्रीन हाइड्रोजन में सहयोग बढ़ाने जैसे मुद्दों को शामिल किया है।
India, ASEAN nations calls for conclusion of code of conduct in South China Sea
Read @ANI Story l https://t.co/0UiSSiSpSf #India #IndiaASEAN #PMModi #China pic.twitter.com/fEK3VYx9m3
— ANI Digital (@ani_digital) October 10, 2024
बता दें कि इस साल सम्मेलन की मेजबानी लाओस कर रहा है। भारत इस साल एक्ट ईस्ट नीति के तहत एक दशक पूरे करने जा रहा है। इस सम्मेलन में अन्य देशों के साथ साझेदारी के माध्यम से भारत और आसियान संबंधों के विकास की समीक्षा की जाएगी और साथ ही भविष्य की दिशा भी तय करेगा।
यह भी पढ़ें: जयंती विशेष : बिहार से संपूर्ण क्रांति तक का सफर, जानिए जेपी की कहानी, जो अभी तक नहीं हुई है पुरानी
ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में आज म्यांमार में लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध और साउथ चाइना सी को लेकर क्षेत्रीय तनाव के मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। बता दें कि यह दोनों मुद्दे आसियान देशों के लिए प्रमुख चुनौती बने हुए हैं। इस साल मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को पूरे 10 साल होने जा रहे हैं। ऐसे में यह दौरा अहम माना जा रहा है। इस सम्मेलन का मकसद दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना है।