पारले जी, गाज में बच्चे के साथ एक व्यक्ति (फोटो-सोशल मीडिया)
गाजा: भारत में अक्सर सुबह चाय के साथ पारले-जी बिस्किट खाया जाता है, क्योंकि यह बहुत ही सस्ता और सुलभ माना जाता है। छोटी-छोटी दुकानों पर आसानी से मिल जाता है। लेकिन इसी पारले-जी की कीमत गाजा में आसमान छू रही है। इजराइल और हमास युद्ध के बीच आम जनता को मानव निर्मित आकाल से जूझना पड़ रहा है। गाजा में पारले जी को वास्तविक कीमत से 500 गुना अधिक में बेचा जा रहा है और लोग खरीदने को मजबूर हैं।
गाजा से एक व्यक्ति की सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि मुंबई बनने वाला पारले कंपनी का पारले जी बिस्किट (24 यूरो) यानी 2342 रूपये से भी अधिक की कीमत पर बेचे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पारले जी बिस्किट की कीमत जान लोग हैरान हैं।
5 रुपये का पारले-जी 2342 रुपये का, फिर भी करना पड़ रहा लंबा इंतजार
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट में लिखा है “लंबे इंतजार के बाद, आखिरकार आज मुझे रविफ के पसंदीदा बिस्किट मिल गए। भले ही कीमत 1.5 यूरो से बढ़कर 24 यूरो से अधिक हो गई हो, लेकिन मैं राविफ को उसका पसंदीदा बिस्किट देने से मान नहीं कर पाया।” इस मार्मिक पोस्ट को पढ़कर दांतों तले अंगुली दबा ले रहे हैं।
After a long wait, I finally got Ravif her favorite biscuits today. Even though the price jumped from €1.5 to over €24, I just couldn’t deny Rafif her favorite treat. pic.twitter.com/O1dbfWHVTF
— Mohammed jawad 🇵🇸 (@Mo7ammed_jawad6) June 1, 2025
इजराइल ने रोकी खाद्य आपूर्ति
अक्टूबर 2023 में इजराइल हमास संघर्ष बढ़ा और इसके बाद इजराइल ने सैन्य कार्रवाई कर दी। इसके बाद खाद्य पदार्थों की पहुंच गाजा तक कम हो गई। इस साल 2 मार्च से 19 मई के बीच पूरे फिलिस्तीनी एन्कलेव को नाकाबंदी का सामना करना पड़ा। निश्चित संख्या में मानव राहत की सामग्री वाली ट्रकों को गाजा के अंदर जाने की अनुमति दी गई। यह ढील भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण देनी पड़ी।
ब्लैक मार्केट की हकीकत
गाजा में सिर्फ पारले जी की कीमते आसमान नहीं छू रही हैं, बल्कि अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम कई गुना बढ़ गए हैं। गाजा सिटी में रहने वाले 31 वर्षीय डॉ. खालिद अलशवा ने एनडीटीवी से कहा, “समस्या आपूर्तिकर्ताओं या टैक्स से नहीं है। ये सामान आमतौर पर मानवीय सहायता के रूप में गाजा में निःशुल्क आते हैं। यह मदद कुछ लोगों को मिल पाती है। खाद्यानों की भारी कमी सस्ती चीजों को भी उच्च कीमत वाले ब्लैक मार्केट के सामान में बदल देती है।