बिलावल भुट्टो व शहबाज शरीफ (सोर्स- सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद: भारत द्वारा वैश्विक मंचों पर सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को उजागर करने के लिए सात-पक्षीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान ने भी पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम भेजने की योजना का खुलासा किया है।
इससे पहले, भारत सरकार ने कहा है कि वह उत्तरी अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया की प्रमुख राजधानियों में प्रतिनिधिमंडल भेजेगी, जिसमें विभिन्न दलों के सांसद, पूर्व राजनयिक और वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), गुलाम नबी आजाद (डीपीएपी) और असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) जैसे नाम शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर करना है। इसके अलावा, इसमें भारत की सैन्य कार्रवाई की वैधता को स्पष्ट करना और वैश्विक समुदाय से ठोस समर्थन प्राप्त करना शामिल है।
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने उनसे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और इस कठिन समय में पाकिस्तान की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल में हिना रब्बानी खार (पूर्व उप विदेश मंत्री), खुर्रम दस्तगीर खान (पूर्व रक्षा मंत्री), जलील अब्बास जिलानी (पूर्व विदेश सचिव), तारिक फातमी (रूस की संभावित यात्रा के लिए) जैसे नाम शामिल हैं। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस और रूस का दौरा करेगा।
पाकिस्तान ने हाल ही में कश्मीर, सिंधु जल संधि और आतंकवाद जैसे विषयों पर भारत के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई थी। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साप लहजे में कह दिया है कि आतंकवाद के मुद्दे को छोड़कर किसी भी विषय पर कोई बात नहीं होगी।
एस जयशंकर ने यह भी साफ किया कि सिंधु जल संधि पर चर्चा तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता। जम्मू-कश्मीर पर चर्चा का एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र को भारत को सौंपना है।
7 मई को भारत ने 9 स्थानों पर आतंकवादियों के खिलाफ सटीक हमले किए। इसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक युद्ध जैसी स्थिति बनी रही। 10 मई को दोनों देशों के बीच अनौपचारिक युद्धविराम स्थापित हुआ। वहीं, आज यानी 18 मई को एक बार फिर डीजीएमओ स्तर की वार्ता होनी है।