इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग (फोटो- सोशल मीडिया)
India-Pakistan Tensions: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने हाल ही में एक नया मोड़ ले लिया है। इस्लामाबाद ने भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की बुनियादी आवश्यकताओं पर कई प्रकार की रोक लगाई है। भारत सरकार के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई जानबूझकर और पूर्वनियोजित रूप से की गई है, जो वियना कन्वेंशन का सीधा उल्लंघन है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है।
सूत्रों के अनुसार, इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग परिसर में पहले ही गैस पाइपलाइनों की स्थापना की जा चुकी थी, लेकिन अब जानबूझकर गैस की आपूर्ति रोक दी गई है। इसके अलावा, स्थानीय गैस सिलेंडर विक्रेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे भारतीय मिशन को कोई सेवा न दें। इससे राजनयिकों और उनके परिवारों को वैकल्पिक और महंगे स्रोतों की तलाश करनी पड़ रही है, जो कि अक्सर असफल साबित हो रही है।
उत्पीड़न सिर्फ ईंधन तक सीमित नहीं है। अब मिशन को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति भी रोक दी गई है। स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को मिनरल वाटर न बेचने का आदेश दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को असुरक्षित नल का पानी पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, समाचार पत्र वितरकों को भी मिशन को प्रिंट मीडिया की आपूर्ति बंद करने के निर्देश मिले हैं, जिससे राजनयिकों की सूचनाओं तक पहुंच सीमित हो गई है।
भारत का कहना है कि इस प्रकार की कार्रवाइयाँ वियना कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन हैं, जो राजनयिक मिशनों को सुविधाएँ और संरक्षण प्रदान करने के लिए बनाए गए थे। इन प्रतिबंधों से भारत-पाक रिश्तों के पहले से ही नाजुक ताने-बाने को और नुकसान पहुँच रहा है।
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2019 के पुलवामा हमले और बालाकोट हवाई हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई औपचारिक उच्च स्तरीय वार्ता नहीं हुई है। इसके अलावा अप्रैल में जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों में तनाव अपने चरम पर है। जानकारी के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और सिंधु जल संधि के सख्त क्रियान्वयन से पाकिस्तान गुस्से में है, जिसका बदला वो भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की बुनियादी आवश्यकताओं को रोक निकाल रहा है।