पाकिस्तानी एयरलाइन
Pakistan Airlines PIA: पाकिस्तान की मुश्किल में फंसी अर्थव्यवस्था ने प्राइवेटाइजेशन की तरफ एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। सरकार इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के दबाव में अपनी नेशनल एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) को बेचने की तैयारी कर रही है। यह बिक्री सितंबर 2024 में मंजूर 7 बिलियन डॉलर के लोन प्रोग्राम के लिए आईएमएफ की सख़्त शर्तों का हिस्सा है।
दरअसल, पाकिस्तान को तुरंत पैसे की जरूरत है। कई साल से देश पुराने लोन चुकाने के लिए लोन पर निर्भर रहा है। इससे वह डिफ़ॉल्ट के कगार पर पहुंच गया है। डिफेंस खर्च उसके सबसे बड़े और सबसे कम फ्लेक्सिबल खर्चों में से एक है। पाकिस्तान अभी IMF का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार है। उसके पास 1958 से 20 से ज़्यादा लोन प्रोग्राम हैं।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऐलान किया कि पीआईए की बोली 23 दिसंबर 2025 को होगी। सभी मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसका लाइव ब्रॉडकास्ट किया जाएगा। बुधवार को उन्होंने उन 4 कंपनियों से मुलाकात की, जिन्होंने बिक्री के लिए प्री-क्वालिफाई किया है। स्थानीय समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक लगभग 20 साल में पाकिस्तान का यह पहला बड़ा प्राइवेटाइजेशन कदम होगा।
सरकार पीआईए के 51-100 प्रतिशत शेयर बेचने का प्लान बना रही। 4 बिडर्स को क्लियर कर दिया गया है। ये लकी सीमेंट कंसोर्टियम, आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन कंसोर्टियम, एयर ब्लू लिमिटेड और फौजी फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड हैं, जो मिलिट्री द्वारा चलाए जाने वाले फौजी फाउंडेशन का हिस्सा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर मिलिट्री का असर मजबूत है। भले आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर सीधे बोर्ड में कोई पद पर नहीं हैं। इंस्टीट्यूशनल कंट्रोल और जरूरी अपॉइंटमेंट्स के ज़रिए आर्मी बड़े फौजी फाउंडेशन पर इन डायरेक्ट निगरानी रखती है। फील्ड मार्शल असीम मुनीर फौजी फाउंडेशन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सीधे तौर पर कोई पद नहीं रखते हैं। वह क्वार्टरमास्टर जनरल को अपॉइंट करते हैं, जो फौजी फाउंडेशन के CBD का हिस्सा होते हैं।
हाल में प्राइवेटाइजेशन मिनिस्टर मुहम्मद अली ने रॉयटर्स को बताया था कि पाकिस्तान इस साल प्राइवेटाइजेशन से होने वाली कमाई से 86 बिलियन रुपये कमाने का टारगेट बना रहा है। बिडिंग के आखिरी राउंड में सरकार को PIA की बिक्री से होने वाली कमाई का 15 प्रतिशत मिलना था।
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पाकिस्तानी पीआईए का पतन रातों-रात नहीं हुआ है। 2020 में एयरलाइन एक बड़े संकट में चली गई, जब यह पता चला कि 30 प्रतिशत से ज़्यादा पायलटों के पास नकली या संदिग्ध लाइसेंस हैं। इस स्कैंडल के कारण 262 पायलटों को काम से निकाल दिया गया था। EU, UK और US ने PIA की फ्लाइट्स पर बैन लगा दिया।