चोलिस्तान नहर बनी पाकिस्तान के सिर का दर्द
इस्लामाबाद: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कारण पहले ही लड़खड़ाय पाकिस्तान की मुश्किलें अब अंदरूनी बगावत से और लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। बलूचिस्तान के बाद अब सिंध प्रांत भी लगातार सुलगने लग गया है और इसकी वजह है चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट। सिंध के लोगों को डर है कि इस परियोजना से उनके हिस्से का पानी पंजाब ले जाएगा, जिससे सिंध रेगिस्तान में तब्दील हो सकता है। इसका असर इतना भयावह हुआ कि सिंध में सड़कों पर हिंसा भड़क उठी, पेट्रोल पंप लूटे गए और सूबे के गृह राज्य मंत्री का घर तक फूंक दिया गया।
पाकिस्तान के चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट को लेकर सिंध में भारी विरोध खड़ा हो गया है। सिंधु नदी के पानी को पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में पहुंचाने के इस प्रयास को सिंध के लोग अपना जल अधिकार छीनने की साजिश मान रहे हैं। इस परियोजना में छह नहरें बनाई जानी हैं जो 176 किलोमीटर लंबी होंगी और जिसकी अनुमानित लागत करीब 67 अरब रुपये है। इसका मकसद पंजाब की बंजर ज़मीन को खेती योग्य बनाना है, लेकिन इससे सिंध की खेती और जीवनशैली पर बुरा असर पड़ने की आशंका है।
सिंध में भड़की बगावत से राजनीतिक एकता चकनाचूर
चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट का विरोध इतना तीव्र हो गया कि गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर का घर तक फूंक दिया गया। सिंध प्रांत में पानी को लेकर जनाक्रोश अपने चरम पर है। इस परियोजना को लेकर न केवल आम जनता बल्कि वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक दल भी सड़कों पर उतर आए हैं। खास बात ये है कि सिंध में सत्ताधारी पार्टी पीपीपी, जो केंद्र में भी सरकार में है, खुद इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है।
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चोलिस्तान प्रोजेक्ट पर उठे सवाल, पाक की मंशा संदिग्ध
विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु नदी का पानी पंजाब की ओर डायवर्ट करने से सिंध में पानी की भयावह कमी हो सकती है। सिंध की कृषि व्यवस्था और लाखों लोगों की आजीविका इससे प्रभावित होगी। पाकिस्तान की सत्ता में पंजाब का वर्चस्व हमेशा रहा है और अब इस नहर के ज़रिए सिंध को हाशिये पर धकेलने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर की मंजूरी से यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ, जिसे लेकर अब पाकिस्तान के भीतर ही गहरी दरारें उभर आई हैं।