शहबाज शरीफ
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की नजदीकियां इन दिनों चीन के साथ खूब तेजी के साथ बढ़ रही है। पाकिस्तान इन दिनों चीन की तारीफों के कसीदे पढ़ रहा है। उसने चीन के आगे अमेरिका को भुला दिया है। साथ ही चीन को अमेरिका से बेहतर बताया है। पाक पीएम ने कहा चीन जितना अमेरिका पाकिस्तान के लिए कभी नहीं कर सकता।
चीन के लिए पाकिस्तान ने अपना समर्थन दिखाया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन मुताबिक, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि चीन ने देश के लिए जो किया है, वह अमेरिका कभी नहीं कर सकता।
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पाकिस्तान और चीन के रिश्ते नहीं लगेंगे दांव पर
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने लाहौर के मॉडल टाउन स्थित अपने आवास पर कई पत्रकारों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान पाक पीएम शरीफ ने कहा कि अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारा जाना चाहिए, लेकिन यह पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि चीन और पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का दूसरा चरण तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीनी विशेषज्ञों की पाकिस्तान यात्रा के दौरान कई विषयों में सहयोग को बढ़ावा देने में वृद्धि हुई है।
पाकिस्तान ने ऋण के चीन को लिखी चिट्ठी
पीएम शहबाज ने ऋण पुनर्निर्धारण के लिए चीन सरकार को एक पत्र लिखा है। जिसे लेकर उन्होंने कहा कि यदि चीन पाकिस्तान को ऋण चुकाने के लिए पांच से सात साल का समय देने पर सहमत हो जाए तो सरकार मुद्रास्फीति, विशेषकर ऊर्जा की कीमत को कम करने में सक्षम होगी।
अमेरिका से दूरी बनाने पर पाकिस्तान भुकतेगा खामियाजा
पाकिस्तान, अमेरिका के बजाय चीन में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। जबकि अमेरिका वैश्विक मंचों पर हमेशा पाकिस्तान का साथ देता है। यही वजह है कि पाकिस्तान में बसे आतंकवाद से दुनियाभर के देश परेशान हैं। पर मुखर होकर पाकिस्तान पर कोई देश दबाव नहीं बनाता। आतंकवाद को लेकर भारत हमेशा पाकिस्तान की आलोचना करता है। भारत के मित्र राष्ट्र भी इसकी आलोचना करते हैं। अमेरिका के ही वजह से पाकिस्तान अब तक बचता आ रहा था।
चीन के जाल में पाकिस्तान
अब जब पाकिस्तान के सुर अमेरिका को लेकर बदले हैं। इसका खामियाजा पाकिस्तान को हर स्तर पर भुगतना पड़ेगा। अमेरिका, पाकिस्तान को ऋण देता है साथ ही चुकता करने के लिए समय भी खूब देता है। लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। चीन पहले तो ऋण दे देता है। इसके बाद दबाव बनाने लगता है। फिर उनके जमीनों पर मनमानी चलाता है। ऐसा चीन ने श्रीलंका के भी साथ किया है। चीन श्रीलंका के प्रमुख जगहों को हथिया लिया है और वहां पर मनमनानी करता है। श्रीलंका चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता।
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