
इजराइल के हथियार तुर्की ने बदल ली चाल, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: तुर्की और इज़राइल के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं, लेकिन हाल ही में तुर्की ने यह साफ कर दिया है कि वह सीरिया में इज़राइल के साथ किसी भी तरह की टकराव की स्थिति नहीं चाहता। ब्रसेल्स में आयोजित नाटो बैठक के दौरान तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फिदान ने कहा कि इज़राइल द्वारा सीरिया पर किए जा रहे हमले वहां की स्थिरता को नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिससे आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों को फिर से उभरने का मौका मिल सकता है।
फिदान ने स्पष्ट रूप से कहा कि तुर्की सीरिया में किसी प्रकार का सीधा टकराव नहीं चाहता। उन्होंने इज़राइल द्वारा हाल ही में सीरियाई सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों की निंदा की। उनके अनुसार, ऐसे हमले तुर्की और सीरिया की उस साझा रणनीति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका उद्देश्य आईएसआईएस और कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (PKK) जैसे आतंकी संगठनों का खात्मा करना है।
तुर्की ने पहले ही गाज़ा पर इज़राइल के हमलों को नरसंहार की संज्ञा दी है और इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में उठाया है। इसके साथ ही, तुर्की ने इज़राइल के साथ अपने सभी व्यापारिक संबंध भी खत्म कर दिए हैं। हालांकि, सीरिया के हालात को लेकर तुर्की ने सतर्क रुख अपनाया है, क्योंकि उसका मानना है कि इज़राइल की कार्रवाईयों से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और तनाव बढ़ने का खतरा है।
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बता दें कि हाल ही में तुर्की ने अमेरिका के साथ बातचीत के बाद संकेत दिए हैं कि वह सीरिया पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाने का समर्थन कर सकता है, ताकि वहां पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जा सके। तुर्की के विदेश मंत्री फिदान ने कहा कि अब सीरिया को लेकर एक नई सोच की जरूरत है, और इसके लिए तुर्की अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ लगातार संवाद कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सीरिया और इज़राइल के बीच कोई आपसी सहमति बनती है, तो तुर्की उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भी तुर्की ने संतुलन बनाए रखा है। वह दोनों देशों रूस और यूक्रेन से मजबूत संबंध बनाए हुए है और संभावित शांति वार्ता की मेजबानी के लिए तैयार है। फिदान ने अमेरिका से यह अपेक्षा जताई कि वह ईरान के साथ बातचीत करके समाधान निकालने की कोशिश करे। उनका मानना है कि मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने का रास्ता अब केवल कूटनीति और संवाद से ही निकल सकता है। ऐसे में तुर्की फिलहाल इज़राइल के साथ सीधा टकराव लेने के बजाय रणनीतिक संयम और शांतिपूर्ण पहल की दिशा में आगे बढ़ रहा है।






