नुरुल मजीद महमूद हुमायूं (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bangladesh: बांग्लादेश के पूर्व उद्योग मंत्री और शेख हसीना के करीबी नूरुल मजीद महमूद हुमायूं की एक तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। इस तस्वीर में वह अस्पताल के बिस्तर पर हथकड़ी लगे हुए दिख रहे हैं। इसके बाद देशभर में विवाद खड़ा हो गया है। लोग इसे अमानवीय और मानवाधिकारों का उल्लंघन और यूनुस सरकार का तानाशाही रवैया बताया जा रहा है।
यह तस्वीर उनकी मौत के तुरंत बाद सामने आई, जिससे लोगों में गुस्सा और भी बढ़ गया। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दावा किया कि ICU में इलाज के दौरान भी उनके हाथों में हथकड़ी थी, और कुछ ने तो यहाँ तक कहा कि उनकी मौत के बाद भी बेड़ियाँ नहीं हटाई गईं।
नूरुल मजीद को 24 सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उन पर भेदभाव विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जुड़े कई मामलों में केस दर्ज था। वह 75 साल के थे और कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। इलाज के लिए उन्हें कई बार अस्पताल लाया गया। आखिरकार, 30 सितंबर को ICU में उनकी मौत हो गई।
Nurul Majid Mahmud Humayun, a 75-year-old veteran of Bangladesh’s 1971 Liberation War, former Industries Minister, and senior Awami League leader, passed away while undergoing treatment in jail custody at Dhaka Medical College Hospital (DMCH). The day before his death, he was… pic.twitter.com/t582kBShJY — Mohammad Ali Arafat (@MAarafat71) September 30, 2025
तस्वीर सामने आने के बाद कई वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने नाराजगी जताई। मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान लिटन ने कहा कि किसी मरते या मरे हुए इंसान को हथकड़ी लगाना पूरी तरह अमानवीय है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्योतिर्मय बरुआ ने इसे संविधान और कानून का उल्लंघन बताया।
Veteran freedom fighter, former Industries Minister and senior Awami League leader Nurul Majid Mahmud Humayun (75) has died in jail custody at DMCH, allegedly due to neglect and denial of proper medical care. Even after his passing, his hands remained shackled. Despite fragile… pic.twitter.com/1eYf6CRe7J — Hussain Saddam (@saddamhussainbd) September 30, 2025
जेल विभाग ने इन आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया। उन्होंने कहा कि जो तस्वीर वायरल हो रही है, वह नूरुल मजीद के ICU में भर्ती होने की नहीं है। जेल अधिकारियों ने कहा कि सभी कैदियों के साथ कानून के मुताबिक व्यवहार किया गया है और नूरुल मजीद को भी सम्मानपूर्वक इलाज दिया गया।
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वहीं, ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने कहा कि वह सिर्फ इलाज करते हैं, कैदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। अस्पताल के डायरेक्टर ने भी पुष्टि की कि यह तस्वीर मौत के समय की नहीं है, बल्कि तब की है जब उन्हें पहली बार भर्ती किया गया था। मानवाधिकार संगठनों और वकीलों ने इस घटना की जाँच की माँग की है।