संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत रहीं निमारता निक्की रंधावा हेली
Nikki Haley on India-US relations: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भारत को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने रविवार को नई दिल्ली से कहा कि वह रूसी तेल के आयात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चिंताओं को गंभीरता से ले और इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करे। हेली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के रिश्ते नाजुक दौर से गुजर रहे हैं, जिससे भविष्य की रणनीतिक साझेदारी पर भी सवाल उठने लगे हैं।
मौजूदा तनाव की मुख्य वजह रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए कड़े दोहरे टैरिफ हैं। इन शुल्कों के कारण भारतीय निर्यातों पर लगने वाला शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिसे ट्रंप द्वारा घोषित सबसे कठोर व्यापारिक कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है। इसके अलावा, जब भारत ने पाकिस्तान के साथ विवाद में मध्यस्थता करने के ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तो इससे भी दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ीं। इन घटनाओं ने दशकों पुरानी दोस्ती पर एक प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
India must take Trump’s point over Russian oil seriously, and work with the White House to find a solution. The sooner the better.
Decades of friendship and good will between the world’s two largest democracies provide a solid basis to move past the current turbulence.…
— Nikki Haley (@NikkiHaley) August 23, 2025
निक्की हेली, जो ट्रंप के कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत रह चुकी हैं, ने इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के साझा हितों की याद दिलाई। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में अपनी बात रखी।
उन्होंने लिखा, “भारत को रूसी तेल पर ट्रंप की बात को गंभीरता से लेना चाहिए और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर इसका समाधान निकालना चाहिए। जितनी जल्दी हो सके, उतना अच्छा है। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच दशकों पुरानी दोस्ती और सद्भावना मौजूदा उथल-पुथल से उबरने का एक ठोस आधार प्रदान करती है। व्यापारिक मतभेदों और रूसी तेल आयात जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए कठोर बातचीत की जरूरत है। लेकिन, हमें उस चीज को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो सबसे ज़्यादा मायने रखती है- हमारे साझा लक्ष्य। चीन का सामना करने के लिए, अमेरिका के पास भारत के रूप में एक दोस्त होना जरूरी है।”
यह भी पढ़ें: 80 गवाह, सैकड़ों पन्ने और फिर एक रिपोर्ट…कोलकाता गैंगरेप केस में 2 महीने बाद आरोप पत्र दाखिल
हालांकि, अमेरिका की इस कार्रवाई पर भारत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नई दिल्ली ने इन उपायों को “अनुचित और अविवेकपूर्ण” बताते हुए इनकी आलोचना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले पर एक मजबूत रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया था कि वे भारत के अपने किसानों और मछुआरों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि मुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं किसानों के लिए ऐसा करने को तैयार हूं।” यह बयान दर्शाता है कि भारत अमेरिकी दबाव के आगे आसानी से झुकने वाला नहीं है।