शांति वार्ता में EU की गैरमौजूदगी पर भड़के नेतन्याहू, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Gaza Ceasefire: इजरायल पर हुए हमले को आज दो साल पूरे हो गए हैं। इस लंबे संघर्ष को समाप्त करने के लिए मिस्र में दोनों पक्षों के बीच वार्ता हुई। इस दौरान हमास ने बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के लिए कुछ शर्तें रखीं, जबकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सीजफायर प्लान में यूरोपीय संघ की गैरमौजूदगी की कड़ी आलोचना की।
सोमवार को मिस्र में हुई बैठक में हमास ने कहा कि इजरायली सेना को जनवरी में हुए सीजफायर समझौते के अनुसार गाजा के आबादी वाले इलाकों से हटकर अपने पुराने ठिकानों पर लौटना होगा। इसके अलावा, उन्होंने इजरायली वायुसेना की प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे तक ड्रोन और लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर रोक लगाने की मांग की। साथ ही, बंदियों की रिहाई के दिन 12 घंटे तक किसी भी तरह के हवाई अभियान पर रोक लगाने की शर्त रखी गई।
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा है कि गाजा में शांति स्थापित करने की कोशिशों में यूरोपीय संघ पूरी तरह से गायब है। विदेश मीडिया से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोप फिलिस्तीनी आतंकवाद और कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के सामने कमजोर साबित हुआ है। नेतन्याहू ने कहा कि यूरोप अब प्रभावहीन हो गया है और उसने अपनी कमजोरी दिखा दी है। जो काम यूरोपीय संघ को करना चाहिए था, वह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कर रहे हैं, जिससे आतंकवादी तत्वों का सफाया संभव होगा। उन्होंने यूरोपीय संघ के उन 15 सदस्य देशों की आलोचना भी की जिन्होंने फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी है और उम्मीद जताई कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाएगा।
नेतन्याहू ने कहा सोचिए अगर 9/11 के बाद लोग यह कहने लगते कि ठीक है, बिन लादेन और अल-कायदा को एक राज्य दे दिया जाए। हम न सिर्फ उन्हें एक राज्य दे देंगे, बल्कि वह न्यूयॉर्क से एक मील की दूरी पर होगा जैसा कुछ लोग सुझा रहे हैं। इससे शांति नहीं आएगी। पहले आपकी ताकत होनी चाहिए, फिर शांति हो सकती है।
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उन्होंने आगे कहा कि अब कुछ यूरोपीय नेता क्या कह रहे हैं? वे चाहते हैं कि इजरायल को इतना कमजोर कर दिया जाए कि उसे फिर से एक और फिलिस्तीनी राज्य से जंग लड़नी पड़े और वह संघर्ष अब यरुशलम के बाहर नहीं बल्कि यरुशलम के अंदर और तेल अवीव की पहाड़ियों के उपर होगा। यह उनकी नजर में हास्यास्पद और खतरनाक सोच है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)