Nepal's Central Bank
काठमांडू: नेपाल ने एक साल के भीतर नए नोट छापने का फैसला लिया। नोट छापने में जो नया मुद्दा है वो ये है कि उस नोट पर विवादित क्षेत्र दिखेंगे। कुछ ऐसे विवादित क्षेत्र हैं जिस भारत अपना हिस्सा बताता है और नेपाल अपना। अब देखना होगा कि इस पर भारत की क्या प्रतिक्रिया हाेगी।
नेपाल का केंद्रीय बैंक एक साल के भीतर संशोधित मानचित्र वाले नये बैंक नोट छापने की तैयारी कर रहा है, जिसमें भारत के साथ विवादित क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा। मीडिया में मंगलवार को प्रकाशित एक खबर में यह जानकारी दी गई।
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ऑनलाइन समाचार पोर्टल नेपालखबर डॉट कॉम ने नेपाल राष्ट्र बैंक के संयुक्त प्रवक्ता दिल्लिराम पोखरेल के हवाले से बताया कि नेपाल राष्ट्र बैंक ने नए मानचित्र के साथ बैंक नोटों की छपाई की प्रक्रिया पहले ही आगे बढ़ा दी है, जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल किया गया है।
बैंक प्रवक्ता ने टिप्पणी के नहीं हुए उपलब्ध
पोखरेल ने कहा कि बैंक ने नए नोटों की छपाई की प्रक्रिया पहले ही आगे बढ़ा दी है और यह छह महीने से एक साल में पूरी हो जाएगी। हालांकि, जब समाचार पोर्टल की खबर पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो बैंक के प्रवक्ता टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए।
भारत कर चुका है स्पष्ट
तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड के नेतृत्व में नेपाल के मंत्रिमंडल ने तीन मई को संशोधित मानचित्र को शामिल करते हुए नए बैंक नोट छापने का निर्णय लिया था, जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया। भारत बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसके क्षेत्र हैं।
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अगर नेपाल नए नोटों में विवादित क्षेत्रों को प्रिंट कराता है तो यह नेपाल की कूटनीतिक जीत होगी और भारत की कूटनीतिक हार। भारत पर इसका असर ग्लोबल स्तर पर पड़ेगा। भारत से छोटा और कमजोर देश नेपाल ऐसा करने में अगर सफल होता है, तो भारत का कद दुनिया भर में जरूर छोटा हो जाएगा।